गोत्र अर्थात स्कूल ऑफ थॉट।
जाति अर्थात एक्सटेंडेड फैमिली ट्री।
विस्तारित वंश वृक्ष।
समस्त जातियों का गोत्र होता है।
जाति का अर्थ वंश वृष।
फैमिली ट्री
भारत 10 000 साल से ऊपर की संस्कृति है।
आज एक परिवार में इन वर्षो में कितने परिवार बने होंगे।
सोचिए।
भारत मे यदि निम्न और उच्चजाति का कांसेप्ट होता क्या राणा कुम्भा कीबहू मीरा बाई रैदास हो सकते थे क्या?
समस्या जाति से है कि उसके पोलिटिकल एक्सप्लॉइटशन से?
मुलायम यादव जबसामाजिक न्याय के योद्धा लालू यादव से आज भी रिश्तेदारी करते हैं तो आपको दिक्कत नही आती।
संविधान में जाति घुसेड़ी तो दिक्कत नही आई।
ब्रामहण क्षत्रिय वैश्य – वर्ण थे।
उंनको 1901 में रिश्ले ने जाति घोसित किया जनगणना के सरकारी कागजों में, और आप ने उसे संविधान सम्मत बनाया तब तो लाज नही आई।
आज जाति पर लाज आती है।
पाखंडी भारतीयों।
बाबा ने जब उमा के मुह से कहलवाया कि –
जद्यपि दुख दारुण जग नाना।
सबसे कठिन जाति अपमाना।
तो पाखंडियों ये बताओ कि वह किसकी बात कह रही थी।
शिव जी की न।
वही तो उनका परिवार था।
पाखंडी भारतीय नग्रेजी झाड़ना बन्द करो।
गुलामी से बाहर निकलो।
हयूमैनिटिज़ के पढ़ने वाले भारतीय कलंक है इस देश के।
जिन्होंने गुलामी को शिंक्षा के माध्यम से आकंठ अपनी आत्मा तक को गुलाम बना रखा है 150 वर्षो से।
डूब मरो निकम्मो।
– साभार तृभुवन सिंह