वास्तविक नाम: विष्णुपद मंदिर
जगह: दिल्ली
इस्लामिक अत्याचारों के प्रतीक के रूप में दिया गया नाम: हुमायून का मकबरा।
देश में ऐसे हज़ारों मंदिर हैं, जिनको इस्लामी आक्रांताओं ने तॊड़ कर मंदिरों के अस्तियों पर अपने मस्जिदें और मकबरे बनायें हैं। ऐसा ही एक स्मारक है दिल्ली में स्थित हुमायून का मकबरा। अकबर के पिता हुमायून के याद में बनाये गये इस मकबरे के अंदर पूर्व में हिन्दू मंदिर होने के स्मृति चिन्ह पाये गये हैं। कुछ पुराने फोटोग्राफ से यह पता चला है कि हुमायून की कब्र बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली साइट और सामग्री एक प्राचीन विष्णु मंदिर से संबंधित है।
विष्णु के पद चिन्ह
हुमायून के कब्र का मूल नाम “विष्णुपद मंदिर” था। “पद” का अर्थ है “चरन” या “पैर”। यह नाम मंदिर के अंदर पत्थर में खुदे गये नक्काशीदार भगवान विष्णु के “पैर” की वास्तविक उपस्थिति से आया है। भारत और नेपाल को “दिव्य देशम” कहा जाता है और नेपाल के मुक्तिनाथ मंदिर से लेकर तमिलनाडू के तिरुपती तक कुल 106 विष्णु मंदिर का उल्लेख हमारे पुराणॊं में हैं।
सनातन संस्कृति में हर विष्णु मंदिर में विष्णु के पद चिन्ह बनाये जाते हैं। संस्कृत और तमिल श्लोक में “चरणं प्रपद्ये” का अर्थ ही भगवान के चरणॊं में शरण लेना है। ऐसे में इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता कि हुमायून का मकबरा पूर्व में विष्णु का मंदिर हुआ करता था।
क्वार्ट्ज के स्थंभ
कब्र के अंदर लगे क्वार्ट्ज के स्थंभ यह चीख चीख कर कह रहे हैं कि वे किसी मंदिर के अवषेशों के ऊपर बनाये गये हैं। हुमायून के मकबरे की लाल बलुआ पत्थर की दीवारों के विपरीत सफेद क्वार्ट्ज स्तंभ, यह स्पष्ट रूप से संकेत देता है कि वे पूरी तरह से अलग संरचना हैं। दुनिया भर के पुरातात्विक सर्वेक्षण के साथ विज्ञान के अनुसंधान ने साबित कर दिया है कि क्वार्ट्ज के मुकाबले बलुआ पत्थर ज्यादा तेज़ी से गलते हैं, या खराब होते हैं। कब्र के प्रांगण के बलुआ पत्थरों का खराब होना और क्वार्ट्ज के स्थंभॊ का सही सलामत होना यही दर्शाता है कि ये स्थंभ मुघल काल से भी पूर्व के हैं।
कब्र के अंदर कुछ स्थंभ उल्टे दिशा में लगाये गये हैं, जो इस बात का साक्ष है कि वहां मुघल स्मारक नहीं अपितु हिन्दू मंदिर हुआ करता था। अब हाथ कंगन को आरसी क्या? पूरा विश्व जानता है कि मुघलों के मस्जिद -मकबरें और इसाइयों के चर्च के नीचे हिन्दू मंदिर हुआ करता था। भारत के सनातन धर्म ने विश्व भर में अपना पद चिन्ह छॊड़ा है, जपान, इंडोनेशिया जैसे देशों ने आज भी सनातन मान्यताओं को और स्मारकों को संजोये रखा है। इस्लामी और यूरूपीय देशों ने सनातन से जुड़े साक्ष्य को नष्ट कर दिया है। दुख की बात यह है कि सनातन की जननी भारत में भी सनातन धर्म को मान्यता नहीं मिलती…..
Text and photos courtesy: Postcard News