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भारतीय आर्मी की तीसरी सर्जीकल स्ट्राइक में रोहिंग्या अराकान आतंकियों को भीषण क्षति

इंडियन आर्मी ने म्यानमार में अराकान व् NSCN(K) के विरुद्ध चलाया 2 सप्ताह लम्बा फुलस्केल मिलिट्री ऑपरेशन। इंडियन आर्मी की कार्यवाही में रोहिंग्या अराकान आतंकियों को भीषण क्षति और NSCN (K) का मुख्यालय पूरी तरह समाप्त।

17 फरवरी से 2 मार्च तक जहां पश्चिमी मोर्चे पर भारत पुलवामा का बदला पाकिस्तान में बैठे आतंकवादियों से ले रहा था और कश्मीर में पाकिस्तान की एरियल रेड को विफल कर रहा था, उसी समय पूर्वीय मोर्चे पर भारत म्यानमार में एक भारी भरकम सैन्य ऑपरेशन चलाकर भारत के इंफ्रा प्रोजेक्ट को हानी पहुंचाने के उद्देश्य से जमा हुए रोहिंग्या अराकान व् म्यांमार के अंदर बैठे NSCN(K) आतंकवादियों का भी सफाया कर रहा था,

2 सप्ताह तक चले इस ऑपरेशन में म्यानमार आर्मी संग मिलकर भारतीय सेना ने कालादान इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को निशाना बनाने जा रहे रोहिंग्या अराकान आतंकियों को न्यूट्रलाइज किया,

यह वही रोहिंग्या अराकान आर्मी है जो कि म्यानमार में सैकड़ों हिंदुओं का नरसंहार कर चुकी है और इनके कब्जे से छुड़ाई गई हिंदू महिलाओं की आपबीती सुनकर पूरी दुनिया इनकी बर्बरता से परिचित हुई थी,

चीन समर्थित रोहिंग्या अराकान आर्मी के आतंकी मिजोरम बॉर्डर के पास बेस कैम्प बनाकर बैठे थे और वहीं से भारत के हल्दिया पोर्ट से म्यानमार के सितवे पोर्ट को जोड़ने वाले कलादान प्रोजेक्ट को निशाना बनाने जा रहे थे,
इस आतंकी संगठन रोहिंग्या अराकान आर्मी को ट्रेनिंग चीन समर्थित आतंकी संगठन कच्चिन इंडिपेंडेंस आर्मी द्वारा दी गयी है जो म्यांमार के उत्तरी क्षेत्र में चीनी बॉर्डर के निकट बेस्ड है, और चीन से आर्थिक सहायता, सैन्य उपकरण व् हथियार पाता हैं। म्यांमार सरकार ने कच्चिन इंडिपेंडेंस आर्मी और अरकान आर्मी दोनो को ही आतंकी संगठन घोषित किया हुआ है,

यह दोनों ही संगठन म्यानमार की शांति के लिए खतरा है और अब ये अपने खूनी पंजे भारत की ओर भी बढ़ा रहे थे, इसी कारण भारतीय सेना ने म्यांमार आर्मी संग मिलकर 2 सप्ताह लम्बा ऑपरेशन चलाकर भारत के एसेट् रूपी कलादान प्रोजेक्ट की सुरक्षा सुनिश्चित की, भारतीय सेना का उद्देश्य म्यांमार के दक्षिण मिज़ोरम में बेस बनाकर बैठे इन आतंकी समूहों को साफ कर कालादान प्रोजेक्ट की सुरक्षा करना था।

कलादान उत्तर पूर्वी राज्यों की कनेक्टिविटी समस्या के निदान के रूप में विकसित किया गया इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है, जिसके द्वारा जल मार्ग से कम समय में, छोटे रास्ते से, अधिक से अधिक समान उत्तर पूर्व में पहुंचाया जा सकता है,
यह प्रोजेक्ट कोलकाता से मिजोरम को जोड़कर दूरी के 1000 किलोमीटर व् ट्रैवेल टाइम के 4 दिन कम कर देगा।

भारत को इंटेलिजेंस सूचनाएं मिली थी की रोहिंग्या अराकान आतंकवादी भारत के इस प्रोजेक्ट को निशाना बनाने के उद्देश्य में जुटे हुए हैं और म्यानमार के दक्षिण मिजोरम में बेस कैम्प्स बना चुके हैं, इसके बाद भारतीय सेना ने म्यांमार सेना संग मिलकर इन आतंकवादियों का सफाया आरम्भ किया,

पहले चरण में इन अरकान आतंकवादियों के कैम्प्स को ध्वस्त किया गया, और दूसरे चरण में आतंकी संगठन NSCN(K) और उनके बेस कैम्प्स को निशाना बनाया गया, यह सब कुछ भारत के अरुणाचल प्रदेश से 1000 किलोमीटर दूर घटित हो रहा था,

डिप्लॉयमेंट व् कवरिंग एरिया के हिसाब से भारतीय सेना का यह अलग प्रकार का भारी भरकम ऑपरेशन था जो भारतीय भूमि से 1000 किमी दूर दो सप्ताह तक चला,

इस मिलिट्री ऑपरेशन में इंडियन आर्मी की स्पेशल फोर्सज़, असम राइफल्स, अन्य इन्फेंट्री यूनिट, हेलीकॉप्टर, ड्रोन्स व् अन्य सर्वेलेन्स उपकरणों का प्रयोग किया गया, जिनके द्वारा आतंकियों के ठिकानों व् बेस कैम्प्स की सटीक जानकारी एकत्र कर उनके विरुद्ध उचित कार्यवाही की जा सकी,

चीन समर्थित कच्चीन इंडिपेंडेंस आर्मी जिसने रोहिंग्या अराकान आतंकियों को ट्रेन किया था ने पिछली दो वर्षों के अंदर 3000 लड़कों को तैयार किया था जो दक्षिण में मिजोरम के लवंगला जिले के पास सेटल हो रहे थे, यह वही क्षेत्र है जहां से कालादान प्रोजेक्ट गुजरता है, और रोहिंग्या अराकान आतंकी IED विस्फोटक बनाने में माहिर हैं जिसके कारण ये भारत के कालदान प्रोजेक्ट के लिए खतरा थे,

म्यांमार संग डील थी की मिजोरम के निकट आतंकियों पर कार्यवाही के बाद म्यांमार आर्मी उन सभी आतंकी समुहों और उनके बेस कैम्प्स की इनपुट्स भारतीय सेना को देगी जो भारत को निशाना बनाते आये हैं,

म्यांमार आर्मी द्वारा उपलब्ध करवाई गई जानकारी के आधार पर भारतीय सेना ने अपने ऑपरेशंस आरंभ किए और भारतीय सेना की कार्यवाही में आतंकी संगठन NSCN( K) का मुख्यालय TAGA पूरी तरह मिटा दिया गया है, साथ ही एक दर्जन से अधिक आतंकियों के कैम्प्स भी नष्ट किये गए हैं,

वर्तमान में सभी ध्वस्त कैम्प्स म्यांमार आर्मी के कब्जे में हैं, इस पूरे संयुक्त ऑपरेशन और कार्यवाही की योजना 2 माह पूर्व बनाई गई थी, और चीन द्वारा समर्थित आतंकी संगठनों पर कार्यवाही एक प्रकार से चीन के लिए भी कड़ा संदेश है।

–रोहन शर्मा

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