मंगलुरु में शनिवार को चुनावी रैली की ये तस्वीरें देखकर भी यदि आपका कलेजा मुँह में और नेत्रों में अश्रु न आ जाएँ तो कहना।
स्वतंत्र भारत में पहली बार किसी नेता के लिए ऐसी दीवानगी, ऐसा पागलपन देखा गया है। हमने इंदिरा का समय भी देखा है पर तब भी ऐसी दीवानगी कभी नहीं देखी गई।
और भारत के प्रधानमंत्री की हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी, विश्व का कोई भी नेता नहीं होगा जो ऐसे हालातों में ऐसा कुछ करने के बारे में सोचेगा भी, करना तो दूर की बात है…
रोड शो करना, वो भी इस गरमी में, गाड़ी से लटक कर और वो भी ऐसी भयानक भीड़ के बीच जो सारे सुरक्षा तंत्र के छक्के छुड़ा दे, उनको पसीना पसीना कर दे… शायद कोई स्वप्न में भी कल्पना नहीं कर सकता।
यह कोई साधारण नेता नहीं, एक अद्वितीय शक्ति है जिसे भारत की स्थिति सुधारने और पिछले सैकड़ों वर्षों की दुर्दशा से उबारने के लिए ईश्वरीय सत्ता द्वारा भेजा गया है।
यदि अब भी कुछ भारतीय यह बात नहीं समझ पा रहे हैं तो ये उनका दुर्भाग्य ही कहा जाएगा की उन्होंने इतिहास के ऐसे मोड़ में नियति से अपने आप को नहीं जोड़ा, दूर रखा। और यदि अब भी मोदी को प्रचंड बहुमत न मिला तो इससे अधिक दुर्भाग्य क्या कहा जा सकता है?
