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अमर्त्य सेन ने कैसे भारत को नालंदा के नाम पर लूटा

कांग्रेस के राज में बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय में महान अनर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को वाइस चांसलर बनाया गया था जिन्हें प्रति माह 5 लाख रुपए का वेतन दिया जाता था ।

अमर्त्य सेन को इन 9 वर्षों में नालंदा विवि में उदार टैक्स-फ़्री वेतन, बिना अनुमति लिए जितनी चाहें विदेश यात्रा, केवल पाँच सितारा होटलों में मीटिंग, सीधी नियुक्तियाँ, आदि सब करने की कांग्रेस ने खुली छूट दे रखी थी ।

अमर्त्य सेन ने मनमोहन सिंह की सरकार में 9 वर्ष सात फैकल्टी सदस्यों के साथ नालंदा यूनिवर्सिटी को फाइव स्टार होटल और विदेशों से चलाया और कुल 2729 करोड़ रुपये की रकम खर्ची ।

नालंदा यूनिवर्सिटी में इन महोदय की चार सहेलिययों गोपा सभरवाल, अंजना शर्मा , उपिंदर सिंह और नयनजोत लाहिरी की प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति करवाई गई थी ।

इसमें से उपिंदर सिंह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पुत्री हैं । बाकी की तीन भी उनकी ही ख़ास सहेलियाँ हैं ।

अन्य फैकल्टी में दमन सिंह व अमृत सिंह का नाम डलवाया गया । मज़े की बात यह थी कि यह दोनों भी मनमोहन सिंह जी की पुत्रियां हैं औरवे भी अमेरिका से ही नालंदा विश्वविद्यालय को चलाती रहीं । यह सब मिलकर मलाई खाते रहे और यह सब अमर्त्य सेन की मदद से उनकी देख रेख में चलता रहा ।

लेकिन नयी सरकार के आने के बाद यह खेल बंद हो गया । यही वजह रही कि अर्नथशास्त्री अमर्त्य सेन मोदी सरकार को अर्थव्यवस्था का बहाना लेकर कोसते रहे हैं।

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