राजस्थान, छत्तीसगढ़ और सम्भवतः मध्य प्रदेश में मिलने वाले सम्भावित झटके अमित शाह और नरेंद्र मोदी के लिए वो आवश्यक संदेश हैं कि हिंदुओं ने एकजुट होकर आपके शब्दों पर विश्वास करके २०१४ में जो वोट दिया था वो मात्र विकास के लिए कदापि नहीं था।
वो आपको प्रथम हिंदू हृदय सम्राट के रूप में देखते हैं इसीलिए एक दैविय प्रेरणा से देश भर के हिंदू २०१४ से एकजुट भी हुए और आपको राजसत्ता दी है व सरआँखों पर बैठाया है।
परन्तु आपने अपने वादों को तो छोड़िए, हिंदुओं की अधिकतर संवेदनाओं तक पर ध्यान नहीं दिया। ऐसा नहीं कि विकास के साथ आप अन्य कार्य नहीं कर सकते थे। क्रियान्वन नहीं भी होता, राज्य सभा, मीडिया या कोर्ट रोड़े भी अटकाता तो भी आपने अपनी मंशा खुलकर तो दिखाई होती।
राम मंदिर नहीं भी बनता, मंदिरों का जीर्णोद्धार नहीं भी होता, उन पर से सरकारी दमन नहीं भी हटता, जनसंख्या क़ानून नहीं बनता, ३७० नहीं भी हटता, गौहत्या पूर्णरूप से समाप्त नहीं भी होती, नेहरु के पिट्ठूओं का इतिहास नहीं भी हटता, काशमीर के तीन टुकड़े नहीं भी होते, वामपंथियों व खांग्रेस का समूल नाश नहीं भी हो पाता… तो भी कम से कम हिंदू यह आशीर्वाद आपको देते कि हाँ ये सरकार हमारे लिए कार्य करने का प्रयत्न तो कर रही है।
पर हुआ क्या, आपको चुना अधिकतर हिंदुओं ने और आप १३० करोड़ का गाना अविरल गाने लगे और भूल गए कि आपको चुनने वाले ४० करोड़ भी कोई मायने रखते हैं। भूल गए मात्र अपने वोटर को नहीं, उन देवों व संतों को भी जिन्होंने आपको हृदय से सत्ता में एक नया परिवर्तन लाने का आशीर्वाद दिया था। एक ऐसी व्यवस्था बनाने का जिसने बहुसंख्यक हिंदू हज़ारों वर्ष बाद पहली बार यह महसूस करता कि भारत की राजसत्ता अब और उसकी अनदेखी नहीं करेगी।
आज यदि आम हिंदू अपने आप को यदि लाचार, बेचारा और ठगा सा मानता है तो कहीं ना कहीं आप इसके सीधे जिम्मेदार हैं। पहले की बातों पर बहुत कुछ लिखा सुना पढ़ा जा चुका है अतः उनको उठाना बेमानी होगा।
पर इतना अवश्य कहूँगा कि जो दैवीय शक्तियाँ आपकी क़िस्मत चमकाती हैं वे आपसे कुछ अपेक्षाएँ भी रखती हैं, उनकी अनदेखी कर आप घोर पाप कर रहे हैं जिसका नतीजा आपको देर सबेर भुगतना पड़ेगा।
क्यों आपने वसुंधरा और शिवराज को मनमानी करने दी, क्यों आपने जेटली को अपने हिसाब से देश के किसानों और मध्य वर्ग को चक्की में पीसने दिया? सवाल बहुत हैं और दृश्य देखने का दृष्टिकोण भिन्न हो सकता है।
मैं उन लोगों में से हूँ जो श्रीमान मोदी को एक प्रधानमंत्री के रूप में २००६-०७ से देखते आए हैं और आज भी चाहेंगे कि वे ही अगले दस साल प्रधानमंत्री बने रहें व भारत को शिखर तक अवश्य ले जाएँ। परन्तु ऐसा हिंदू धर्म को कुचल मसल कर हो आवश्यक तो नहीं?
क्यों आप अदालत व मीडिया के उन भाड़े के कमीने टट्टुओं पर लगाम कसने में इतने असफल हैं, वल्कि ५ वर्ष में प्रयास तक नहीं किया… जिनको सारा देश पहचानता है कि वो एक अजेंडा पर काम करते हैं।
आपने देश के लिए बहुत कुछ किया है इसमें कोई दो राय नहीं, पर अपने कोर वोटर को बहुत निराश किया है इसमें भी कोई शक नहीं।
अभी भी समय है कुछ कड़े फ़ैसले लेने का। आप हमारे लिए आज भी हाय हाय मोदी, हार हार मोदी नहीं हृदय जीत मोदी, विश्वजीत मोदी ही रहेंगे। विकल्प ना होने की लाचारी के रूप में नहीं, वल्कि एक सच्चे हिंदू हृदय सम्राट के रूप में जिसने धर्मराज बन कर अपने कर्तव्य का निर्वाह किया।
⁃ एक ठगा गया हिंदू, नीरजानन्द
Devendra prasad mishra
December 18, 2018 at 9:21 pm
Any how happened is happened.pl.I request to all vote for shri.modi ji
Thanks to all.