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कब तक हिन्दू ठगे जाते रहेंगे?

के. चन्द्रशेखर राव जून, 2014 को ही तेलंगाना का मुख्यमंत्री बना था, उसके भी सत्ता प्राप्त किये अभी पाँच ही वर्ष हुए हैं. देखिए वो मुसलमानों को अपना रिपोर्ट कार्ड दिखा रहा है कि उसने इन पाँच वर्षों में उनके लिए क्या किया और आगे भविष्य में क्या करनेवाला है।

क्या हमारे प्रधानमंत्री के पास हम हिन्दुओं के अभ्युदय के लिए किये गए कार्यों का इन पाँच वर्षों का ऐसा कोई रिपोर्ट कार्ड है, जिसको दिखाकर वो हमसे वोट माँगने आयेंगे. कुछ बेवकूफ समझाने आ जायेंगे कि हमारे प्रधानमंत्री सिर्फ हिन्दुओं के प्रधानमंत्री नहीं हैं बल्कि देश के प्रधानमंत्री हैं? लेकिन इनलोगों से मैं ये सवाल पूछना चाहता हूँ कि के. चन्द्रशेखर राव क्या सिर्फ मुसलमानों का मुख्यमंत्री है या पूरे तेलंगाना का?

लोकतंत्र दबाव समूहों के बीच समन्वय करके काम करता है. प्रेशर ग्रुप्स डेमोक्रेसी के सशक्त टूल्स हैं. कोई भी लोकतांत्रिक सरकार सबसे शक्तिशाली प्रेशर ग्रुप्स की डिमांड को ज्यादा तवज्जो देने के लिए बाध्य है. इन पाँच सालों में सभी प्रेशर ग्रुप्स ने केन्द्र की इस भाजपा सरकार पर दबाव डालकर अपने हित साधें और उन्हें साधना भी चाहिए. ये कहीं से गलत नहीं है, डेमोक्रेसी ऐसे ही रन करती है.

इस सिस्टम में सिर्फ बहुसंख्यक हिन्दू धोखा खा गयें, वो भी सिर्फ इसलिए कि उन्हें प्रेशर ग्रुप के रूप में उभरने ही नहीं दिया गया. सोशल मीडिया पर अचानक से अनेकों नव्य हिन्दू हित रक्षक उभरें और हिन्दुओं को मुगालते में रखें कि अपने सेनापति पर भरोसा करो. वे हिन्दुओं से कभी 2017 तक, तो कभी राज्य सभा में बहुमत तक, तो कभी नवम्बर, 2018 तक प्रतिक्षा करवाते रहें.

इनका कॉन्फिडेंस लेवल देखकर लगता था कि मानो ये डॉयरेक्ट प्रधानमंत्री के टच में हैं और वहीं से इन्फॉर्मेशन ला रहे हैं. इनलोगों पर भरोसा करके ही हिन्दू चुप बैठा रह गया. अब तो वो चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता सबकुछ उजड़ गया. जिन दूरदर्शी हिन्दुओं ने प्रेशर ग्रुप बनकर दबाव डालने की बात कही, उनको इनलोगों ने फूफा, कामी, वामी, कांग्रेसी कहकर हतोत्साहित किया.

इनमें से कई लोगों को मैं पर्सनली जानता हूँ. इनमें से कई तो ऐसे भी हैं, जिनकी राम मंदिर में बिलकुल भी आस्था नहीं है, वो सिर्फ विकास के लिए भाजपा समर्थक हैं. कई ऐसे मठाधीश को आप अपना परम हितैषी मानकर उन्हें अपना नेतृत्व सौंप रखा है जो भीतर से आर्यसमाजी हैं और जो हिन्दुओं के अवतारवाद के घोर विरोधी हैं. क्या आप उनसे उम्मीद किये बैठे थें कि वो राम मंदिर के लिए लड़ेंगे?

छोड़िए हम राम मंदिर, धारा 370 और समान नागरिक संहिता जैसे हाईप्रोफाइल मुद्दों पर हम साधारण हिन्दू कुछ नहीं बोलेंगे. ये तीन भाजपा के मुद्दे हो सकते हैं, हिन्दुओं के नहीं. इन तीन मुद्दों के अतिरिक्त भी जमीनी स्तर पर हिन्दुओं के हजारों आवश्यकताएं और समस्याएं हैं, जिसे सरकार बनने के बाद से ही अड्रेस करने की जरूरत थी. हिन्दुत्व का काम सिर्फ तीन महामुद्दों के साथ तिरोहित नहीं हो जातें, बल्कि इसके लिए अनवरत साल भर सरकारी सहयोग की आवश्यकता होती है.

हम तो सिर्फ ये कह रहे हैं कि जैसे ओवैसी अपने छोटे-बड़े सैकड़ों कामों को अपने मुख्यमंत्री से दबाव डालकर करवाया है, वैसे हिन्दू अपने हितों के लिए दबाव बनाता तो इसमें इन मठाधीशों का क्या बिगड़ रहा था? ये होते कौन थे जो हमलोगों को पाँच साल मुँह नहीं खोलने दे रहे थें? इन मठाधीशों को हम हिन्दुओं का बाप किसने बनाया? ये किस अधिकार से हमें गरिया रहे थें? इनलोगों ने हम हिन्दुओं की जो अपूरणीय क्षति की है उसकी अब भरपाई मुश्किल है.

कहाँ 2014 में एक सशक्त भाजपा सरकार बनी थी और अब विद्वान जन 2019 में एनडीए सरकार बनाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. जब मजबूत सरकार से हमारा कोई हित नहीं सध पाया तो इस कमजोर सरकार से कोई अपेक्षा करना व्यर्थ होगा. फिर भी हमें अपने अस्तित्व रक्षण के लिए भाजपा सरकार लाने के लिए फिर से एकबार भगीरथ प्रयास करना है.

मैं समझ सकता हूँ कि हम सभी का हृदय बहुत संताप में है, हम ठगे हुए महसूस कर रहे हैं, ऐसे में मन से जुटना मुश्किल हो रहा है. इसका एक ही उपाय है, अपने क्रोध का रेचन इन मठाधीशों पर कीजिए, आपको असीम शांति मिलेगी. इन्हें गाली मत दीजिए. आप जिस शहर में हैं, अपने उस शहर के इस मठाधीश को सामने जाकर पकड़िये. ये काम अकेले मत कीजिए, वरना वो इसे व्यक्तिगत रंजिश बतायेंगे. कम से कम सौ-डेढ़ सौ लोग मिलकर इनकी खबर लीजिए, जिससे ये पता चलेगा कि यह एक व्यापक जनाक्रोश है.

अगर एकबार भीड़ द्वारा अलग-अलग शहरों में सौ-दो सौ मठाधीशों की ठीक से खबर ले ली गई तो इसके दो फायदे होंगे. पहला, ये कि सत्ता आपके माँगों के प्रति अपनाये उदासीन रवैये को तुरन्त तिलांजलि दे देगी. और दूसरा, जब आप अपने अथक प्रयास से अगली बार भाजपा को सत्ता में लायेंगे तो फिर ये बिचौलिए मठाधीश भूलकर भी आपके और सरकार के बीच में नहीं आयेंगे, जिससे आप आरम्भ से ही सरकार पर दबाव बना कर अपने हिन्दुत्व के अभ्युदय से संबंधित अनेकों काम करवा पायेंगे.

साभार Rahul Singh Rathore

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