सबका सबका सबका… कब जानेंगे हम कि सब हमारे हैं ही नहीं, न थे और न कभी होंगे!!!! फिर ये नौटंकी क्यों?
“साधु अवग्या तुरत भवानी।
कर कल्यान अखिल कै हानी॥”
(शिवजी कहते हैं-) हे भवानी! साधु का अपमान तुरंत ही संपूर्ण कल्याण की हानि (नाश) कर देता है।
किसी सुनियोजित षड्यंत्र के तहत महाराष्ट्र में इतनी बर्बरता के साथ दो निर्दोष निरीह संतों व उनके ड्राइवर को मार मार कर उनकी इहलीला समाप्त करने वालों का व इनका साथ देने वाले पुलिसकर्मियों व राजनीतिज्ञों का पूरा पर्दाफाश होना चाहिये।
सत्तालोलुप सरकारें हिजड़ा बन जाएँ ये बिलकुल भी स्वीकार्य नहीं क्योंकि सुरक्षा सरकार का सबसे बड़ा कर्तव्य है। पर किसी हिंदुवादी संगठन की हिम्मत क्यों नहीं कि मुंबई में सचिवालय या दिल्ली में महाराष्ट्र सदन का घेराव तक organise कर सकें! भाजपा तक नहीं। आज हम सब के सब रुदाली बनकर रह गए हैं।
थोड़ी देर छाती पीटी और फिर प्रतीक्षा करते हैं हिन्दुओं पर होने वाली अगली प्रताड़ना की और फिर वही निंदा क्रम और पुलिस ऐक्शन का नाटक प्रारम्भ हो जाता है!
क्यों नहीं आम हिंदू कभी इतनी हिम्मत जुटा पाता कि कभी वो सड़कों पर उतरे और सरकारों को आइना दिखा पाये? केरीयर, धन की वासना, फ़िल्म, टीवी, शराब, क्रिकेट आदि अफ़ीमों से फ़ुरसत कहाँ उसे धर्म अथवा राष्ट्र के बारे में सोचने की?
पर क्या सभी संगठन, साधु समाज आदि सब समाप्त हो चुके हैं??? आपमें से कितने जानते हैं की जिन दो साधुओं को निर्ममता से मारा गया वो जूना अखाड़े के थे?
वही आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित जूना अखाड़ा जिसमें हिंदू धर्म रक्षक कहे जाने वाले नागा साधुओं की संख्या सबसे अधिक हैं! इनके पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद जी और पूज्य शंकराचार्य क्या करते हैं देखते हैं।
और फिर, गांधीवादी मोदी जी और चाणक्य शाह किसी संगठन आदि को कुछ करने भी तो नहीं देंगे। गौ रक्षकों को चिल्ला चिल्ला कर गुंडा कहते तो दो मिनट नहीं लगाते हमारे हिंदू हृदय सम्राट। इतनी अधिक चिंता करते हैं अपनी image की।
मोदी जी. हम आपके सबसे पुराने भक्तों में से हैं और रहेंगे पर अंध भक्त कभी भी नहीं बन सकते। सनद रहे जैसे गांधी की सबसे बड़ी legacy देश के टुकड़े करवाना है वैसे ही आपकी legacy क्या होगी ४०-५० वर्ष बाद इसका अनुमान लगाना कठिन नहीं होना चाहिये!
– नीरज सक्सेना
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