FEATURED

ग़जवा-ए-हिंद हो चुका है, जानिये कैसे

क्या देश का युवा, देश का भावी उत्तराधिकारी, ये जानता है कि वो ग़जवा-ए-हिंद का शिकार भविष्य में नहीं होनेवाला, प्रत्युत: हो चुका है? क्या आप सच में स्वयं को अभी भी स्वतंत्र मानते हैं? यदि हाँ, तो फिर से सोचिये, समझते और ध्यान से विषय पर भली भाँति मनन कीजिये।

मनन जी की सशक्त लेखनी से उकेरी गई इस तस्वीर के किस पहलू में आप अपने को व हिंदू सभ्यता को पाते हैं यह आपकी बुद्धि व ज्ञान पर निर्भर करता है…

लेख लम्बा है। यदि अधिक व्यस्त हैं तो भी कम से कम एक बार अवश्य पढ़िये। यदि कम व्यस्त हैं तो कई बार पढ़िये। तब तक जब तक जोश होश में बदलकर लहू में हिलोरे न मारने लगे…

जय श्री राम!

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तुम गुलाम हो! You are already a SLAVE!

बहुत दिन से देख रहा हूँ , लोग कह रहे हैं कि शाहीन बाग , JNU , AMU इत्यादि कांड वास्तव में ग़ज़वा ए हिन्द की तैयारी चल रही है ”

तो मैं आज आप सभी को एक बात साफ साफ बता देना चाहता हूँ के – भाइयों , कोई ग़ज़वा हिन्द की तैयारी नहीं चल रही क्योंकि …

……

……

…… ग़जवा ए हिन्द पहले ही हो चुका है।

जी हाँ! ग़ज़वा ए हिन्द पहले ही हो चुका है .. बस आप लोग अपनी नौकरी, टैक्सेज़ , बच्चों की पढ़ाई और पृथ्वीराज कपूर to रनबीर कपूर की फिल्मों में इतना बिज़ी थे के आपको दिखा ही नहीं के कैसे आपको गुलाम बना दिया गया !

आप आज एक गुलाम से ज़्यादा कुछ भी नहीं हैं !

माफ करना भाइयों , मैं आपको कष्ट नहीं पहुंचाना चाहता .. लेकिन आज आपको सच को पढ़ना और समझना पड़ेगा …और सच यह है के -:

आप सब गुलाम हैं ! ! ! ! ! !

कैसे ? ? ? !!

चलिये दिखाता हूँ …

लेकिन उस से पहले एक छोटी सी कहानी सुनें -:

“एक परियों का देश था , उस देश में हर आधे किलोमीटर पर चार छोटे Concentric घेरों से बना एक जादुई घेरा था -जिसको ELAS कहते थे ।

ELAS घेरे में खड़े होकर एक खास मंत्र बोलने से आपको उसके 500 मीटर इधर और 500 मीटर उधर (टोटल 1 किलोमीटर) के दायरे में सभी को अपने हिसाब से चलाने की शक्ति मिल जाती थी – उस 1 किलोमीटर के दायरे में जितने लोग होते सब आपके बनाये नियमों पर चलते और अगर नहीं चलते तो उनको ‘सलिपु’ नाम का जीव उठा कर ले जाता …

हर जादुई ELAS घेरे का अपना अलग मन्त्र था जिसे केवल एक खास शासक वर्ग ही जानता था , तो जो व्यक्ति जितने ज़्यादा घेरों के मन्त्र जानता था वह उतने ही अधिक एरिया पर शासन करता था ।

सब ठीक चल रहा था

पर एक दिन राक्षसों ने हमला कर दिया परियों के देश पर और पूरे शासक वर्ग को मार डाला … लेकिन वे शासन नहीं कर पा रहे थे पूरे देश पर …

क्यों नहीं कर पा रहे थे वे शासन ?

क्योंकि उन्हें हर ELAS घेरे के मन्त्र नहीं पता थे !

ऐसे में शासक वर्ग जीवित न होते हुए भी उन राक्षसों पर भारी पड़ रहा था … क्योंकि शक्ति शासक वर्ग में नहीं थी अपितु उन जादुई ELAS घेरों और उनके अलग अलग मन्त्रों में थी ।

ऐसे में राक्षसों ने पुराने घेरों जैसे ही नए घेरे बनाये और उन्हें अभिमंत्रित कर दिया – और फिर वे सुख से परियों के देश पर शासन करने लगे और परियों का देश धीरे धीरे राक्षसों का देश बन गया । ”

कहानी ख़त्म !

याद रखें , शक्ति ELAS घेरों में थी … ELAS का अर्थ है E-L-A-S : Education- Legislation-Administration-Subversion .

अब वापस आते हैं मेन मुद्दे पर –

“आज आप गुलाम हैं ”

“आप गुलाम कैसे हैं” – ये समझने से पहले आपको ये समझना होगा के “गुलामी क्या होती है”

– गुलामी होती क्या है ?

गुलामी होती है – एक ऐसे शक्तिशाली सिस्टम के लिए कार्य करना जो आपके हित के लिए न होकर किसी दूसरे के हित के लिए हो और ये जानते हुए भी के ऐसा सिस्टम आपके खिलाफ है फिर भी उस सिस्टम के अधीन होकर रहना गुलामी है!

और गुलामों को पगार मिलती है , याद रखना ।

शैक्षणिक-सरकार-न्याय-प्रशासन व्यवस्था ये चारों मिलकर ऐसे सिस्टम को शक्तिशाली बनाती हैं – जो गुलामों को कभी उबरने का मौका नहीं देता ।

आ गया समझ के गुलामी क्या होती है ?

आ गया ?! GOOD !!

अब आगे समझें के – ग़ुलाम कौन होता है ?

गुलाम एक अष्टकोण (8 pointed Octagon) में बंधा मनुष्य होता है समझें –

1. गुलाम वो होता है – जो अकेला होता है !

2. गुलाम वो होता है – जिसकी सपोर्ट के लिए कोई आर्थिक-सामाजिक-राजनैतिक-न्यायिक सिस्टम नहीं होता है !

3. गुलाम वो होता है – जिसके पूर्वजों को पराजित साबित कर दिया गया होता है !

4. गुलाम वो होता है – जिसकी धार्मिक व्यवस्था का मखौल उड़ाए जाने पर भी वह कुछ नहीं कर पाता ।

5. गुलाम वो होता है – जिसकी औरतों-बच्चियों पर अत्याचार होते देख कर भी वो कुछ नहीं कर पाता है।

6. गुलाम वो होता है – जिसको न्याय के लिये धन खर्च करना पड़ता है

7. गुलाम वो होता है – जिसके मेहनत से कमाए धन का एक हिस्सा शासन ले लेता है और उस धन को उसी पर अत्याचार करने वालों पर खर्च करता है ।

8. गुलाम वो होता है – जिसके धार्मिक स्थलों से धन लूटकर उसी पर अत्याचार करने वालों को दे दिया जाता है ।

अब आप उपरोक्त 8 पॉइंट्स के प्रकाश में स्वयं का आंकलन कर लें के आप गुलाम हैं या नहीं ।

आपने सुना होगा के मुट्ठी भर अंग्रेज़ों ने करोड़ों हिंदुस्तानियों को गुलाम बना लिया …

दुखद है , लेकिन सत्य है …

तो कैसे बनाया था मुठ्ठी भर अंग्रेज़ों ने करोड़ों भारतीयों को गुलाम ?

बहुत ध्यान से समझें -:

1.Education : पहले अंग्रेज़ों ने स्कूल कॉलेज यूनिवर्सिटी बनाये – जिनमें भारतीय बच्चों के मन में बचपन से ही सरकारी नौकरी प्राप्त करने की ललक भर दी गई – और इस सरकारी नौकरी को पाने के लिए उन्हें अंग्रेज़ी व्यवस्था को सही मानना सिखाया गया ।

2. Legislation : फिर अंग्रेज़ों ने कानून बनाने का ऐसा सिस्टम (सरकार) बनाया जिसमें उच्चतम पदों पर अंग्रेज़ होते थे और मद्धयम ऑफिसर पदों पर रसूखदार भारतीय और कनिष्ठ ऑफिसर पदों पर अंग्रेज़ी पढ़े लिखे मद्धयम वर्गीय और कर्मचारी पदों पर हिंदी-संस्कृत-उर्दू पढ़े हुए भारतीय लोग .

3. Administration :फिर भारतीय लोगों को उस सरकार की नौकरी पर रखा और प्रशासनिक-पुलिस सिस्टम बनाया

फिर अलग अलग प्रान्तों में अंग्रेज ही उच्चतम सरकारी ऑफिसर्स के रूप में प्रतिष्ठित किये , फिर उन सरकारी ऑफिसर्स को कनिष्ठ (सबऑर्डिनेट) भारतीय ऑफिसर्स दिए और भारतीयों की ही एक पुलिस फोर्स दी । इससे होता यह था के अंग्रेज़ उच्चाधिकारी आदेश देता था एक भारतीय मूल के अधिकारी को फिर वह भारतीय अधिकारी आदेश देता था भारतीय कर्मचारियों को – इस वजह से ऐसा लगता था के भारतीय ही चला रहे हैं व्यवस्था और इसलिये विद्रोह कम होते थे ।

4. Subversion : यदि ब्रिटेन को कोई योजना लानी होती थी तो योजना बनाते अंग्रेज़ ही थे लेकिन धरातल पर उन योजनाओं का execution (क्रियान्वन) भारतीय ऑफिसर और कर्मचारी ही करते थे ।

केवल इन 4 पॉइंट्स ELAS की वजह से भारतीय लोग 150 वर्षों तक अंग्रेज़ों के गुलाम बने रहे !

हाहाहा !

अंग्रेज़ों ने भारतीयों को शक्ति से नहीं अपितु स्ट्रैटजी से गुलाम बनाया !

और अंग्रेज़ अफसर इज़्ज़त से पेश आते थे भारतीय अफसरों से …लेकिन जो पॉलिसियां अंग्रेज़ बनाते थे – वे पॉलिसियां केवल ब्रिटिश हित के लिए होती थीं : जिनका क्रियान्वन वे भारतीय मैनेजमेंट सिस्टम से ही करवाते थे ।

भारतीय मैनेजमेंट सिस्टम के अफसरों को ☝️ ऐसा करने के लिए तमाम सुख सुविधाएं मिलती थीं – सोसायटी में रुतबा , घोड़ागाड़ी , नौकर चाकर सब मिलता था – और अगर ऐसे में कोई पढा लिखा आदमी अंग्रेज़ व्यवस्था के खिलाफ जाता था तो उसको खाने के लाले पड़ने का डर था ।

अब थोड़ी देर के लिए मान लीजिये के अंग्रेज़ों की व्यवस्था परियों के देश वाली कहानी जैसी थी – लेकिन अंग्रेज़ों के जाने के बाद उन ELAS घेरों का क्या हुआ ? ?

वे ELAS घेरे अब भी वहीं के वहीं हैं !!! और उनको हाईजैक कर लिया था 1947 में उन लोगों ने जो हिंदुओं और हिंदुत्व के विरुद्ध थे !!

इस शक्ति का उपयोग कर के उन्होंने भारत को सेक्युलर देश घोषित किया – जिस से हिन्दू निश्चिंत होकर पूरी तरह से ELAS सिस्टम पर आश्रित हो जाए और कभी खुद के जादुई घेरे न बना सके ।

वहीं मुस्लिम ELAS से बाहर रहकर भी इसका फायदा सब्सिडी इत्यादि के रूप में लेते रहें और धीरे धीरे अपने लोग ELAS के उच्चतम पदों पर बिठा लें – जिस से धीरे धीरे हिंदुओं को आदत पड़ जाए गुलामी की – जैसे यदि आपको याद हो तो एक दफा उत्तर प्रदेश में कुम्भ मेले का दायित्व एक कट्टर मुस्लिम मंत्री को दे दिया गया था और हिन्दू कुछ भी नहीं कर पाए थे !

ग़ज़वा ऐ हिन्द तो हो ही चुका था 1947 में !

बस आपको दिखा तब जब मनमोहन सिंह जी ने कहा के – “भारत के संसाधनों पर पहला हक़ मुसलमानों का है ” ।

-हिन्दू क्षत्रिय राजाओं की रियासतें कब्ज़े में ले ली गईं ,

-विनोबा भावे जैसे महानीच और बावले आदमी को संत जैसा आइकन बनाकर भारतीय जमींदारों की ज़मीनें इमोशनल अत्याचार व Social Pressure बनाकर के उनसे दान में ले ली गईं !

– मोहनडान्स गांधी द्वारा पाकिस्तानी हिंदुओ को ‘चैन से मर जाने’ और हिन्दू लड़कियों को ‘बलात्कारियों को सहयोग करो’ जैसी सलाहें देने के बाद भी हिन्दू उसे राष्ट्रपिता बोलते रहे ।

– कश्मीर में खुले आम कश्मीरी हिंदुओं को तीन ऑप्शन दिए गए : मारे जाओ , औरतें छोड़ कर भाग जाओ, कन्वर्ट हो जाओ ….फिर भी पूरे भारत का हिन्दू एकजुट होकर नहीं लड़ पाया कश्मीरी हिन्दू के लिए !

– लव जिहाद में हर वर्ष लाखों हिन्दू बच्चियां कन्वर्ट हो जाती हैं ! और पूरा हिन्दू समाज कुछ नहीं कर पाता

– AMU में JNU में “हिंदुत्व तेरी कब्र खुदेगी” जैसे नारे लगते हैं .. और हिन्दू कुछ नहीं कर पाते ।

☝️ पता है के क्यों नहीं कर पाते कुछ भी हिन्दू ?

क्योंकि ग़ज़वा ए हिन्द हो चुका था 1947 में ही !!

और ELAS नाम के जादुई घेरे हिन्दू विरोधियों के हाथ में थे 1947-2014 तक !

और ये हिन्दू विरोधी आज़ादी से अपना काम कर रहे थे – हिंदुत्व को समाप्त करने की पूरी आज़ादी थी इन्हें !

लेकिन तभी मनमोहन सिंह जी ने कह दिया 2010-11 में के “देश के संसाधनों पर पहला हक़ मुसलमानों का है”

और भारत का हिन्दू जो अपनी दाल-रोटी करियर में लगा हुआ था , उसे हल्का सा एहसास हुआ के वो गुलाम है … और इसलिये 2011 से 2014 तक हिंदुओं ने जी जान लगाकर मोदी सरकार स्थापित कर दी !

2014 तक तो पूरी आज़ादी से हिंदुत्व विरोधी गतिविधियां चला ही रहे थे वे लोग जिन्होंने 1947 में ग़ज़वा ए हिन्द कर लिया था

लेकिन उनकी ये आज़ादी छिन गई 2014 में जब हिंदुओं ने एकजुटता दिखाते हुए मोदी सरकार को स्थापित कर दिया !!

इसीलिये ये लोग अब आज़ादी मांगते फिर रहे हैं 2014 से ही !!

हुआ क्लियर कुछ ?

आ गया समझ में के ग़ज़वा ए हिन्द तो हो ही चुका था 1947 में .. और आप धीरे धीरे इस्लामिक सिस्टम को कुबूल करते जा रहे थे और आपको पता भी नहीं चला !

पहले आपको फिल्मों के द्वारा समझाया गया के ब्राह्मण पुजारी अत्याचारी होता है , ठाकुर बलात्कारी होता है , बनिया सूदखोर होता है और शूद्र भुक्तभोगी होता है – लेकिन हीरो नास्तिक होता है ! फिर उसी हीरो को ‘इक़बाल’ नाम दिया जाता है दूसरी फ़िल्म में ।

याद रखें कलमे का पहला हिस्सा नास्तिकता की ओर इशारा करता है – ‘ला इलाहा’ – मतलब ‘ईश्वर के बिना’ …फिर जब कोई ‘ला इलाहा’ बोलकर नास्तिक हो जाए तो बहुत आसानी से उसे ‘इलल्लाह’ समझाकर मुस्लिम बनाया जा सकता है ।

आई कुछ बात समझ ?

पहले भारत के संविधान से छेड़छाड़ कर के उसमें ‘सेक्युलर’ शब्द जोड़कर आपकी पूरी पीढ़ियों को पहले ‘ला इलाहा’ वाला नास्तिक बना दिया गया और धीरे धीरे पाकिस्तानी कलाकारों को भारत में इम्पोर्ट कर के , खान कल्चर को ग्लैमराईज़ कर के , ज़ाकिर नाइक को प्रमोट कर के आपको धीरे धीरे “इलल्लाह” वाला पाठ पढ़ाकर इस्लामिक बना ही लिया गया था के चमत्कार हो गया और मनमोहन सिंह जी ने बोल दिया के “भारत के संसाधनों पर पहला हक़ मुसलमानों का है ”

और शेष आप जानते ही हैं ….

अब आगे समझें – आप 1947- अभी तक गुलाम ही हैं और आपके बच्चे भी गुलाम ही बनेंगे : क्योंकि 2014 के बाद आप गुलाम से शासक नहीं बन गए अपितु एक क्रांतिकारी बन गए हैं – बाग़ी बन गए हैं – रिवोल्यूशनरी बन गए हैं ! !

आप चाहें या न चाहें , आपको ये बग़ावत की जंग लड़ ही रहे हैं – क्योंकि आपका धन दांव पर है , आपका जीवन दांव पर है ।

और ज़्यादा मुश्किल नहीं है सरकार को हिन्दूवादी बनाना ,क्योंकि सरकार वह करती है जो वोटर एक साथ चाहते हैं । लेकिन सरकार को इसके लिए विवश करना पड़ता है …

“सरकार को विवश कैसे करें भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए” -:

सरकार को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए विवश आप कर सकते हैं यदि आप ELAS के जादुई घेरे अपने बना लें !

मतलब Education-Legislation-Administration-Subversion systems को अपना बनाना …

☝️ ऐसा क्यों ज़रूरी है ?

क्योंकि वर्तमान में आप अपनी मेहनत की कमाई का एक बड़ा हिस्सा इनकम टैक्स के रूप में देते हैं , फिर जो भी आप खरीददारी करते हैं उस पर आप टैक्स देते हैं , फिर आप सड़क पर गाड़ी चलाते हैं तो टोल बूथ पर टैक्स देते हैं , घर आते हैं तो गाड़ी की पार्किंग पर टैक्स है , पेट्रोल इतना महंगा नहीं है – वह महंगा है क्योंकि उसपर टैक्स है , ऑटोमोबाइल सेक्टर पर इतने टैक्सेज़ हैं के गाड़ियां महंगी हो जाती हैं और इस कारण कम्पनियों को सेफ्टी फीचर्स और प्रदूषण के नियामकों से कमतर गाड़ियां बनानी पड़ती हैं – जिससे प्रदूषण होता है , उधर हाउसिंग सेक्टर पर भीषण टैक्सेज़ हैं , और शराब पर तो इतने टैक्स हैं के आप खुद समझें के एक बोतल जिसकी वास्तविक selling price 60 रुपये होना चाहिए – वह 600 रुपये की बिकती है क्योंकि उसपर टैक्सेज़ हैं !! सोचिये अगर टैक्सेज़ कम होंगे तो व्यक्ति अच्छी से अच्छी शराब पियेगा जिससे उसे शारीरिक नुकसान कम होगा और बचे हुए पैसों को वह कहीं और लगाएगा – और इकोनॉमी की वृद्धि होगी !

है ना ?

इतने टैक्सेज़ लगाकर भी सरकार हिन्दू बच्चों के लिए पर्याप्त और उच्च स्तर के सरकारी स्कूल कॉलेज और यूनिवर्सिटीज नहीं बना पा रही है ।

हिन्दू मंदिरों पर भी टैक्स हैं – जिनकी वजह से हिंदुत्व का प्रचार नहीं हो पा रहा और न ही हिन्दू लड़कों को अपना स्वरोजगार शुरू करने के लिए कोई सपोर्ट मिल पा रही है !

आचार्य चाणक्य कहते हैं – “धर्मस्य मूलं अर्थ:”

मतलब धर्म का फाउंडेशन धन है …

जब भारत का वर्तमान ELAS सिस्टम ग़ज़वा ए हिन्द के लिए है तो वह आपके पास धन बचने ही नहीं देगा ! क्योंकि अगर आपके पास धन बच गया तो आप धर्म को सशक्त कर लेंगे और धर्म को सशक्त कर लिया तो आप ELAS सिस्टम को हथिया लेंगे – और फिर वे बन जाएंगे आपके गुलाम और उन्हें न चाहते हुए भी घर वापसी करनी पड़ेगी !!

तो इसलिये आप सभी (ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र) अपने अपने समाज को इकट्ठा करें ज़िला स्तर पर – और चैरिटेबल संस्था बनाएं …एक अपनी ही बिरादरी का CA अपॉइंट करें और उससे साफ कहें – न्यूनतम टैक्स देने हैं हम सभी को और अधिकतम धन इकट्ठा करना है चैरिटेबल संस्था में ।

ज़िला स्तर की संस्थाएं जुड़कर राज्य स्तर की वृहद संस्थाऐं बनाएं – और उससे देशव्यापी संस्थाऐं बनें प्रत्येक हिन्दू समाज की ।

फिर ज़िला स्तर से लेकर राष्ट्र स्तर की ये संस्थाएं ‘नॉट फ़ॉर प्रॉफिट’ सिस्टम दिखा कर स्कूल कॉलेज यूनिवर्सिटी खोलें जिनमें वर्ल्ड क्लास शिक्षा दी जाए – जीतने वाली शिक्षा और न के बलिदान हो जाने वाली शिक्षा ।

हर तरह से टैक्सेज़ को अवॉयड करें – सबसे अच्छा तरीका संस्था के द्वारा हाउसहोल्ड सामान सीधा या तो फैक्ट्री से ही खरीदा जाए या फिर संस्था ही छोटे कुटीर उद्योग लगाए – जिससे हिंदुओं को रोज़गार भी मिलेगा और टैक्सेबल इनकम कंसील करने में मदद भी होगी । । आपके पैसे का अधिक से अधिक उपयोग होगा आपके लिए और धर्म के लिए !

संस्थाएं अलग अलग मंदिर न बनवाये , अपितु अपने अपने समाज के अग्रजों के घर में ही मूर्ति स्थापन करवा लें और हर महीने अलग अलग घरों में पूजन पाठन के कार्य रखवाएं – क्योंकि सरकार मंदिर से तो टैक्स वसूल सकती है लेकिन किसी के घर में मंदिर होने पर नही टैक्स लगा सकती 😉

हर समाज अपने अपने कानून स्वयं निर्धारित करे , और बाकी के समाज ज़रूरत के समय एक दूसरे की सहायता करें और मिलें जुलें ।

आपसी झगड़ों को ज़िला-राज्य-राष्ट्र स्तर संस्थाएं अंदर ही अंदर सुलझा लें , अरे भाई तुम्हारे पास समाज के समझदार बुजुर्ग हैं – तुम्हें बाहरी कानून की क्या ज़रूरत ?

सामाजिक Education सिस्टम के रूप में चारों समाज अपने अपने उच्चतम लोग प्रदान करें और उन्हें सैलरी सभी समाज बराबर दें ।

सामाजिक Legislative सिस्टम के रूप में चारों वर्ण संस्थाएं अपने अपने प्रतिनिधि रखें और बहस से चारों समाजों के उत्थान के लिए पोलिसीज़ बनाई जाएं

सामाजिक Administrative सिस्टम के रूप में क्षत्रिय संस्था सिस्टम सक्षम लड़के लड़कियां प्रदान करें – जिन्हें बाकी तीनों (ब्राह्मण , वैश्य और शूद्र ) समाज सैलरी प्रदान करें ।

लेखे जोखों के लिए और म्लेच्छों के सामाजिक Subversion सिस्टम के लिए कायस्थ समाज को सभी चारों वर्ण संस्थाएं सपोर्ट करें …. वे कायस्थ इसीलिये हैं क्योंकि पूरी नारायण की काया(चारों वर्ण समाज) उन्हें सपोर्ट करती है ।

टैक्सेज़ कम से कम देने हैं .. वरना आप टैक्सेज़ देते रहोगे और जामिया मिलिया , JNU , AMU में आपके पैसे से पढ़ने वाले लोग आपकी ही कब्र खोदते रहेंगे ।

☝️ ये केवल आउटलाइन है हिन्दुराष्ट्र बनाने के लिए … इसमें बहुत कुछ जोड़ा जा सकता है और इसे बहुत बेहतर बनाया जा सकता है …. लेकिन करना ऐसे ही पड़ेगा – अन्यथा आज आम हिन्दू के पास सेविंग्स बहुत कम रह गईं हैं और ऐसे में भगवान न करे कोई कोरोना जैसी आपदा आ गई तो आम हिन्दू के पास इतने पैसे भी नहीं हैं जो उस समय अपने बच्चों को मौत से बचा ले – क्योंकि पैसे तो टैक्सेज़ ले जाते हैं और जाकर सब्सिडियां बांट देते हैं विधर्मियों को ।

विचार अवश्य करें

– नमः परमशिवाय

मननव

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