लखनऊ में सड़क घेर कर बैठे कश्मीरी से कुछ लोगों ने आधार कार्ड मांग लिए। कश्मीरी ऐंठ होती ही ऐसी है कि मेवे वाले ने आधार कार्ड दिखाने से मना कर दिया। बात आगे बढ़ी तो भगवा अंगोछे वाले ने दो बेंत कश्मीरी को मार दिए। लोगों के मोबाइल कैमरा चल उठे। देश मे हाहाकार उठ खड़ा हुआ।48 घंटे से मेन स्ट्रीम मीडिया ने आसमान छत पर उठा लिया। मामला अंतराष्ट्रीय हो गया। अब कथित भगवाधारी जेल में एड़ियां रगड़ रहे हैं। कश्मीरी अब खुश हैं। जश्न में हैं। जम्मू बस स्टैंड पर बम भी फुट रहें हैं। मेन स्ट्रीम मीडिया खामोश है।
इंदौर में स्कूल बस एक ‘खास मज़हब’ वाले इलाके से गुज़र रही थी। बस में 50 बच्चे थे। टीचिंग स्टाफ भी था। बकरी एक चंचल जानवर है। बस के सामने आ गई। शहीद हो गई। गांव के शांतिप्रिय लोगों ने ड्राइवर को खूब पीटा। मग़र बस में बैठे बच्चों पर अंधाधुंध पथराव क्यों किया गया ? नौ बच्चों के सिर, कंधों, सीने, चेहरे पर पत्थर लगे। रक्त बह निकला। किसी ने दया नहीं की। बकरी के बदले में नौ बच्चों के प्राण कम लगे। इन शांतप्रिय लोगों को ! मेन स्ट्रीम मीडिया खामोश हैं। क्योकि बच्चे देशभक्त परंतु उपेक्षित लोगों के थे। देशभक्त शोर। कोलाहल। झूठा रोना-धोना नहीं कर सकते ! पिटने और मरने के बाद मामला अपना अंतराष्ट्रीय नहीं करवा सकते। कोई उनका नाम ले कर रोने वाला नहीं है।
रजत शर्मा भी कल लखनऊ वाले मामले में गुंडा-बदमाश कहकर भगवाधारियों की ठीक से बजा रहे थे ! मगर इंदौर बस कांड पर सब ज़बानें खामोश क्यों हैं ? यही मीडिया ‘पद्मावत मामले’ में बच्चों की ही एक बस पर गुड़गांव में करणी सेना के एक पत्थर पर रो।रो कर अपने चैनल को आंसुओं में बहाए दे रहे थे। आखिर भारत का मेन स्ट्रीम मीडिया इतना सनातन विरोधी क्यों हैं ?
इस देश मे आंसू भी मज़हब देखकर गिरते हैं, मीडिया के और सिकुलरों के ।
— Pawan Saxena