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स्त्री देश, नारी प्रधान हिंदू काश्मीर का इतिहास

जम्मू-कश्मीर के इतिहास में खोई हुई 13 सशक्त स्त्रियों को पुनर्जीवित कर रही फिल्म ‘स्त्रीदेश’. . इन सभी स्त्रियों के अद्भुत कार्यों और उपलब्धियों के बारे में दुनिया को अवश्य जानना चाहिए।

चाहे वो दुनिया का पहला राशन का पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम हो, दुनिया का पहला पब्लिक बैंकिग सिस्टम, पहला कमांडो फोर्स या पहली काउंटर इंटेलिजेंस प्रणाली। गोरिल्ला युद्ध तकनीक, संसदीय व्यवस्था से लेकर टैक्स रीफॉर्म तक, ये सब जम्मू-कश्मीर की इन सशक्त स्त्रियों की ही देन  है।

कभी इतिहासकारों की चूक तो कभी उनके और तमाम सरकारों के षडयंत्र ने इनके सशक्त इतिहास को हिन्दुओं से सदैव छुपाया। इन स्त्रियों की कहानी आज महिलाओं के लिए न सिर्फ प्रेरणा का स्त्रोत होती, बल्कि समाज में महिलाओं की हिस्सेदारी और स्थिति को बेहतर बनाने में एक बड़ा योगदान दे सकती थी।

स्त्रीदेश ऐसा पहला रिसर्च आधारित ऐतिहासिक डॉक्यूमेंट है जो पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व  से 11वीं शताब्दी ईसा पश्चात तक के समय को इन सशक्त स्त्रियों की कहानी के माध्यन से सामने लाता है। साथ ही कश्मीर के पांच हजार साल के इतिहास पर प्रकाश डालता है।

निर्देशन के साथ ही इस फ़िल्म की स्क्रिप्टिंग, सिनेमेटोग्राफी और प्रोडक्शन की जिम्मेदारी आशीष कौल ने उठाई है।कौल रिफ्यूजी कैंप, दिद्दा दी वारियर क्वीन ऑफ कश्मीर, रक्त गुलाब, स्त्री देश समेत कई अन्य बेस्टसेलर पुस्तकों के लेखक हैं। वह कश्मीर के भूले हुए इतिहास को याद दिलाने के साथ साथ सक्रिय रूप से युवाओं को आतंक के खिलाफ एक कदम उठाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

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