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कृष्ण बनो, शिशुपाल नहीं

बचना है तो अब भी जाग जाओ हिन्दुओ।

अधिकतर हिन्दू अभी देशद्रोहियों की मंशा भली भाँति नहीं जानते। बात कालिख, थप्पड़, और सोशल मीडिया पर गाली आदि के स्तर से बहुत आगे जा चुकी है अन्यथा पिछले कुछ वर्षों में इतने भारी जन विरोध को देखकर ही ये पिशाच सुधर जाते।

स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने भी शिशुपाल की ९९ ग़लतियों को ही स्वीकार किया था, सौवीं नहीं जबकि वो तो उनका रिश्तेदार था।

ये देशद्रोही तो किसी के सगे नहीं। जो अपने राष्ट्र, अपनी मातृभूमि का न हो सके वो तो वैसे ही मरे के समान है। उसका क्या सम्मान और क्या समाज में स्थान? इस सब की परवाह समाज क्यों करे? ऐसे व्यक्तियों का कैसा सम्मान करना है, इसका निर्णय आपको लेना है और वो भी तुरंत।

मान लीजिये प्रधानमंत्री मोदी यदि प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद यदि अभी पाकिस्तान पर आक्रमण कर भी देते हैं तो इस देश के भीतर मौजूद इन नरपिशाचों का व उन करोड़ों मिनी पाकिस्तानों का क्या होगा जो हमने कोंगरेस को भारत में पाल पोस कर बड़ा करने दिया है? पहले इनका समाप्त होना अति आवश्यक है अन्यथा ये नासूर में बदल सकता है।

ये काम मात्र सरकार का नहीं है। बल्कि हिन्दू संगठनों व धर्मगुरुओं को भी समझना होगा कि इस ज़िम्मेदारी से और अधिक नहीं विमुख रहा जा सकता है। उन्हें इस पर काम करना ही होगा।

हिन्दुओं को अपने हितों के लिए देशहित में और कई कार्यों के लिए सरकार पर यथोचित दबाव तुरंत बनाना चाहिए। जिन्हें लगता है कि अभी कुछ अधिक नहीं बिगड़ा, उन्हें भी समझ लेना चाहिए कि बहुत देर हो चुकी है और पानी सर के ऊपर से जा चुका है।

स्वयं के उत्थान पर ध्यान केंद्रित करो, शास्त्र और शस्त्र को पुनः ग्रहण करो। अन्यथा सैकड़ों शिशुपाल बदला लेने को तैयार बैठे हैं। गांडीव उठाओ पार्थ, सहायता को अब कृष्ण न आएँगे।

– नीरज सक्सेना

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