American Thinker में प्रकाशित Janet Levy की रिपोर्ट के अनुसार १९४७ ई⋅ में पूर्वी पाकिस्तान में ३०% हिन्दू थे जो अब ८% है और पश्चिम बंगाल की जनसंख्या में १२% मुस्लिम थे जिनमें से ७ लाख उसके पश्चात पूर्वी पाकिस्तान चले गये । २०११ ई⋅ की जनगणना में पश्चिम बंगाल में २७⋅०१% मुस्लिम हैं,जिनमें अवैध घुसपैठिये सम्मिलित नहीं हैं ।
सन्तानों सहित अवैध घुसपैठियों की कुल संख्या पूरे भारत में अभी ७ करोड़ के आसपास है (इस विषय पर शोधकर्ता डा⋅ मोहित राय के अनुसार सवा पाँच करोड़) किन्तु २०१६ ई⋅ में अरुण जेटली ने संसद में जो रिपोर्ट प्रस्तुत की थी उसके अनुसार केवल ढाई करोड़ अवैध घुसपैठिये भारत में हैं जिनको न तो निकालने की कोई योजना सरकार ने बनायी और न ही उनको नागरिक सुविधाओं से वञ्चित करके कश्मीरी पण्डितों की तरह शरणार्थी शिविरों में डालने की । पश्चिम बंगाल में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या केवल २५ लाख बतायी जाती है जो वास्तविकता से बहुत कम है ।
पाकिस्तान की Inter service Intelligence तथा बांग्लादेश की Director General of Foreign Intelligence के साझे प्रयास से पश्चिम बंगाल के हिन्दू गाँवों को निशाना बनाकर हिन्दुओं को पलायन के लिये विवश किया जा रहा है जिसकी जानकारी भारत की National Investigation Agency को है किन्तु बंगाल की सरकार सहयोग नहीं कर रही है । नवाब सिराजुद्दौला के राज्य को बृहत् बांग्लादेश के नाम से पुनर्निर्मित करने के जिहादी दस्तावेज National Investigation Agency ने बरामद किये हैं । १९४७ ई⋅ से ही मुस्लिम तुष्टीकरण करने वाली सरकार ने भारतीय बंगाल का नाम “पश्चिम बंगाल” रखने का निर्णय लिया जो पूर्वी बंगाल को बृहत् बंगाल का भाग मानते रहने की विचारधारा पर आधारित है । भारतीय पंजाब का नाम “पूर्वी पंजाब” नहीं रहा क्योंकि पंजाबियों की ईच्छा नहीं थी कि पाकिस्तानी पंजाब से एकीकरण हो । रवीन्द्रनाथ ठाकुर के साहित्य में भी जब उनके पात्र बंगाल से बिहार या यूपी जाते थे तो कहते थे कि हिन्दुस्तान जा रहे हैं!
१८८१ ई⋅ की जनगणना में अविभाज्य बंगाल में मुसलमान ५०⋅२%,हिन्दू ४८⋅५% एवं अन्य १⋅३% थे । उससे पहले हिन्दुओं का बहुमत था । राजशाही,ढाका तथा चट्टग्राम अनुमण्डलों में तब मुसलमान क्रमशः ६३⋅२%, ६३⋅६% और ६७⋅९% थे ,पूर्वी और पश्चिमी बंगाल के अन्य सभी मण्डलों में हिन्दुओं का बहुमत था । समूचे बंगाल में सबसे अधिक मुसलमान चट्टग्राम अनुमण्डल में होने का कारण था औरंगजेब के समय से बर्मा के अराकान पर कब्जा करने के लिये बंगाल के जिहादियों को उधर बसाना,जो रोहिंग्या कहलाये — अराकान को अरबी भाषा में रोहिंग कहते हैं । रोहिंग्या बंगाली भाषा का मौलिक शब्द नहीं है,अरबी से बंगाल के मुल्लों ने उधार लिया ।
मैकॉले के काल में एडम द्वारा सर्वेक्षण में लिखा है कि पूरे बंगाल में एक लाख पाठशाला थे जिनमें ९०% ब्राह्मण तथा १०% कायस्थ शिक्षक थे — मुस्लिम गाँवों में भी । मुल्ले केवल नमाज और जिहाद सिखाते थे,पढ़ाई−लिखाई से उनको कोई मतलब नहीं था । बंगाल का मुस्लिमकरण भी कुत्ब−अल−आलम नाम के एक “सन्त” ने किया । मैकॉले के काल में डाकू से “सन्त” बने सोनाउल्लाह ने सोनागाछी रेड लाइट एरिया की स्थापना की जिसमें बन्दूक की नोक पर ब्राह्मण विधवाओं का अपहरण करके लाया गया ताकि ईस्ट इण्डिया कम्पनी के सैनिक पत्नियों के पास इंग्लैण्ड न भाग जायें । इज्जत बचाने के लिये विधवायें आग में कूदने लगी तो राममोहन राय के द्वारा हंगामा मचवाकर सतीप्रथा पर पाबन्दी लगवायी गयी जिस कारण राममोहन को राजा की उपाधि दी गयी । William Carey नाम के एक पादरी ने तान्त्रिक विद्यावागीश और राममोहन राय के सहयोग से “महा निर्वाण तन्त्र” नाम का फर्जी धर्मग्रन्थ लिखवाया जिसमें बाइबिल की तरह के ईश्वर की कल्पना थी और हिन्दू कानून के फर्जी नियम थे जिनको न्यायालयों में पैसा लेकर दस्तावेज के तौर पर प्रस्तुत करके दशकों तक धन कमाया गया । जब भाण्डा फूटा कि हिन्दू कानून तो मुख्यतः मनुस्मृति है तो मनुस्मृति पर झूठे आरोप लगाकार उसे बदनाम करने का कार्यक्रम आरम्भ हुआ,जैसे कि यह प्रचार कि शूद्र वेद पढ़े तो उसके कानों में सीसा पिघलाकर डाल दिया जाय — जो मनुस्मृति में कहीं नहीं है । मनुस्मृति की वर्णव्यवस्था को जातिवाद कहकर प्रचारित किया गया । विलियम केरी ने राममोहन राय द्वारा जो षडयन्त्र आरम्भ किया उसी की कड़ी फूले और अम्बेडकर थे ।
इसी षडयन्त्र के अन्तर्गत अंग्रेजों ने हिन्दुओं का दमन करने के लिये बंगाल में जिहादियों को बढ़ावा दिया । द्वितीय विश्व युद्व में सुभाष बाबू की आजाद हिन्द फौज से लड़ने के लिये अंग्रेजों ने रोहिंग्या जेहादियों को शस्त्र दिये जिनका दुरुपयोग हिन्दू और बौद्ध गाँवों को घेरकर सामूहिक नरसंहार में किया गया — जिसका आरम्भ अराकान में औरंगजेब ने रोहिंग्या द्वारा कराया था ।
बंगाल के राजा गणेश के विरुद्ध मुसलमान सुल्तानों के आक्रमण की योजना बनाकर पीर कुत्ब−अल−आलम ने राजा गणेश के पुत्र को जलालुद्दीन नाम से मुसलमान बनाकर बंगाल का इस्लामीकरण आरम्भ कराया था । बंगाल के इस्लामीकरण की प्रक्रिया में वर्तमान सन्त हैं ममता बानो,जिनके नेतृत्व में हिन्दुओं के नरसंहार की योजनाये बन रही हैं ।
संसार में ऐसे मज़हब भी हैं जिनमें कोलम्बस जैसे हत्यारे और सोनागाछी के संस्थापक सोनाउल्लाह जैसे डाकू “सन्त” कहलाते हैं । सतीप्रथा हिन्दुओं की कोई प्रथा कभी नहीं थी क्योंकि सती विधवा होकर आग में नहीं कूदी थी,महादेव मरे नहीं थे । राजस्थान में इज्जत बचाने के लिये जौहर आरम्भ हुआ,उससे पहले जौहर का अस्तित्व नहीं था । उसी प्रकार आग में विधवा के कूदने की परिपाटी गोवा में पुर्तगाली शासन में आरम्भ हुई क्योंकि पुर्तगाल में कानून था कि वहाँ की नारी विदेश नहीं जा सकती हैं,जिस कारण उपनिवेश के पुर्तगालियों को स्थानीय नारियों का बलपूर्वक अपहरण करना पड़ता था । पुर्तगाल और स्पेन के समस्त उपनिवेशों में अधिकांश पुरुषों की सामूहिक हत्या करा दी गयी और नारियों का अपहरण हुआ जिसपर पोप ने शाबासियाँ दीं । अंग्रेज अधिक “शुद्धतावादी” थे,उन्होंने अमरीका और ऑस्ट्रेलिया के मूलवासी पुरुषों का ही नहीं बल्कि नारियों का भी सामूहिक कत्लेआम कर दिया,केवल दो प्रतिशत बच पाये,और विश्व इतिहास में सर्वाधिक तीव्र गति से अपनी संख्या बढ़ायी — १६०० ई⋅ से १९१४ ई⋅ के बीच अंग्रेजों की जनसंख्या विश्व के १⋅० % या ५५ लाख से बढ़कर १२⋅० % या २० करोड़ हो गयी जो अविभाज्य भारत की जनसंख्या का ६७⋅६ % थी,१६०० ईस्वी में अविभाज्य भारत का केवल ३⋅७ % ब्रिटेन की जनसंख्या थी । अविभाज्य भारत में भी हिन्दुओं की संख्या घटे और मुसलमानों की बढ़े इसका प्रयास सभी सरकारों ने किया ।
भाजपा सरकार भी केवल भाषण देती है क्योंकि हिन्दुओं में वैसी एकता और जागृति नहीं है जो सरकार को साहस दे ।
–श्री विनय झा