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पप्पू माँगे बस १५०, पर मोदी को ३०० की दरकार

राऊल विंचि उर्फ़ पप्पू गांधी को सरकार बनाने के लिए सिर्फ 140 सांसद चाहिए जिससे वह अन्य क्षेत्रीय क़ुनबों, परिवारवादियों, लेफ्ट आदि से महाठगबन्धन वाली सरकार बना लेगा या थर्ड फ्रंट को बाहरी समर्थन देकर उनकी सरकार बनवा देगा। परन्तु किसी भी तरीके से वह सभी भगवा /मोदी जी को सरकार नही बनने देंगे।

ऐसा इतिहास में पहले भी किया गया और 2014 के बाद कर्नाटक दिल्ली बिहार आदि राज्यो में भी हुआ है।

जबकि मोदी जी को स्थिर मजबूत सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत से अधिक चाहिए (300+) ताकि अगर कोई भविष्य में जयचंदों, ग़द्दारों (शत्रुघ्न, यशवंत, शोरी) से सरकार गिराने या कमजोर करने का कोई खतरा नहीं हो।

अगर मोदी जी को 250 तक भी सीट मिलें तब भी सहयोगियों की बैसाखियों वाली सरकार होगी जो राम मंदिर, 370, 35A, जनसँख्या नियंत्रण, समान नागरिक संहिता, गौ वंश की रक्षा आदि (राष्ट्रवाद और हिंदुत्व मुद्दों) पर कुछ नही कर पाएगी क्योंकि यह (सहयोगी) कोई कानून तो लोक सभा मे ही बनने/पास नही होने देंगे, राज्य सभा (विपक्ष) तक तो भूल ही जाओ और कोई ऑर्डिनेन्स भी नही निकाल पायेंगे।

भारतीयों, सोच समझ कर चलो, जब तक 100% (भगवा मोदी योगी हिंदुत्व राष्ट्रवादी देशभक्त) समर्थक वोट डालने बूथ तक नही जाएँगे और फिर बूथ में पहुँच कर “मूर्खता और स्वार्थ” / क़ुनबों के दलाल मीडिया के प्रोपगंडा झूठ से गुमराह होकर नोटा में एक भी वोट नही डालेंगे, तब ही मोदी जी जीत सकते हैं, वर्ना असम्भव है।

भारत में भगवा 1200 साल तक गुलाम रहा, 1947 के बाद भगवा 55 साल तक विपक्ष में रहा, 2014 के बाद फिर कई बाइपोल (योगी जी) भी हारा, अब भगवा 3 राज्यो में भी हारा। मोदी जी, योगी जी हार भी सकते है। अगर हम (आलसी लालची अतिमहत्वकांशी और निजी स्वार्थ से भरपूर) SELFISH & FOOLISH (मूर्ख अज्ञानी अर्धज्ञानी अहंकारी जिद्दी हठी) नकरात्मक मानसिकता को त्यागेंगे नही।

भगवा को हारने का हजारो साल का कटु / दुर्भाग्यपूर्ण अनुभव है। कम से कम 15 साल तक (लोक सभा और राज्य सभा मे दो तिहाई बहुमत) जीतने तो दो, इतना मौका तो अवश्य दो। अपने लिए नही, अपने बच्चो के उज्ज्वल सुरक्षित सम्पन्न भविष्य के लिए।

कुछ को मै जगाता हूँ, कुछ को तुम जगाओ और इस देश समाज धर्म को बचाओ। आजादी के आंदोलन में हम योगदान नही दे सके परन्तु भारत के विकास, अखंडता और एकता में हमारे द्वारा शुरू किया जागरूकता का आंदोलन ही हमारे क्रान्तिकारियों वीरों तपस्वियों गुरओं ऋषि मुनियों बलिदानियों कर्मयोगियों पूर्वजों को हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

चिंतन और मंथन करो ।

⁃ महेश कौशिक

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