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समाज का आइना, या समाज का दुश्मन ?

“दुर्बल” मानसिकता के लोग देशद्रोही मिडिया के फैलाये हुए “नेरेटिव” के जाल में फंस जाते हैं। उनके नेरेटिव को जो वीडियो, टिप्पणी, आलेख के अफवाह को कांपी पेस्ट, शेयर, और फारवर्ड करना प्रारम्भ कर देते हैं। थोड़ी देर रुक कर विचार भी नहीं करते हैं कि इसका संदेश क्या है और उसका परिणाम क्या होगा और साधारणतः अफवाह का बाजार गर्म हो जाता है और मुख्य आवश्यक विषय खबरों में नेपथ्य में चला जाता है और गद्दारों देशद्रोहियों के कुकृत्य पर पर्दा पड़ जाता है।

जब वाड्रा से संबंधित खबरें जोर शोर से मीडिया में चल रही थीं तभी “पुलवामा” कांड हो गया और परिस्थिति ने नया मोड़ ले लिया हवा का रुख ही बदल गया है, क्या यह मात्र संयोग है या षड्यंत्र है?

ऐसी अनेकों घटनाओं के तार तम्य विगत वर्षों के दौरान देखे जा सकते हैं जब कोई कार्रवाई भ्रष्टाचारियों पर होती है तभी कोई अवांछित घटना घट जाती है, विशेष कर “नेहरू गांधी” के घालमेल परिवार पर जब उनके कुकृत्य को उजागर होने के समय ही मिडिया नेरेटिव बदल देता है और देश का ध्यान दूसरी तरफ चला जाता है।

बचोगे नहीं मेरे देश के गद्दारों और अपाघातिओं, देर भले हो जाय परंतु अंधेरगर्दी का हिसाब तो तुम्हें देना ही होगा तुम्हारी चंडालचौकडी बच नहीं सकती है।

देश को युद्ध में झोंकने वाले, देश युद्ध भी जीतेगा और तुम्हारी चंडालचौकडी को दंडित भी करेगा।ये चंडालचौकडी जो देश में रहती है किन्तु देश हित में नहीं है उसका हिसाब बराबर होगा।

*देश के शत्रुओं को चिन्हित कीजिये *

*दंडित कीजिये *

अपराधी को दंडित अवश्य किया जाता है।

#मनमौजी

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राष्ट्र को जुड़ना ही होगा, राष्ट्र को उठना ही होगा। उतिष्ठ भारत।

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