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आख़िर भाजपा कब सीखेगी?

वर्ष 1999 कारगिल युद्ध समाप्ति के तुरंत पश्चात देश मे एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुआ ….

संसद के मानसून सत्र के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल जी और तत्कालीन रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडिस एक साथ संसद में प्रवेश करते हैं ….

तभी संसद की वेल में खड़े तमाम कांग्रेसी सांसद एक साथ खड़े होते हैं और रक्षामंत्री चोर है …. रक्षामंत्री चोर है …. के नारे लगाते हुए हंगामा करते हैं ….

बिल्कुल वैसे ही जैसे आज चौकीदार चोर है के नारे लगाते हैं ….

कांग्रेस का आरोप था कि …. कारगिल युद्ध में शहीद भारतीय सैनिकों के शव सुरक्षित सम्मानजनक रूप से घर पहुंचाने के लिए रक्षा मंत्रालय ने जिस अमेरिकन कम्पनी से ताबूत खरीदे हैं उसमें घोटाला हुआ है ….

इसी मामले में देश की केंद्रीय जांच एजेंसी सी.बी.आई. ने कुछ वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों और अमरीका के एक ठेकेदार के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया ….

तथ्‍य यह है कि भारत के रक्षा मंत्रालय ने अमरीका की एक कंपनी से अल्युमिनियम के ताबूत और शव रखने योग्‍य थैले ख़रीदे थे …. आरोपी अधिकारियों ने वर्ष 1999-2000 के दौरान ऐसे 500 अल्यूमुनियम ताबूत और 3000 शव थैले ख़रीदने के लिए अमरीका की एक कंपनी के साथ सौदा किया था ….

इस सौदे में प्रति ताबूत 2500 अमरीकी डॉलर यानी लगभग एक लाख बीस हज़ार रुपए और शव के थैलों के लिए 85 अमरीकी डॉलर प्रति थैला के हिसाब से भुगतान किया गया …. कांग्रेस का दावा था कि यह दर अंतरराष्‍ट्रीय बाजार-भाव के अनुसार बहुत ही ज्‍यादा थी ….

कांग्रेस ने एक दावा ताबूतों के वजन से खिलवाड़ का भी किया …. कंपनी ने पहले जिन 150 ताबूतों की आपूर्ति की उनका वज़न 55 किलोग्राम प्रति ताबूत था …. जबकि सौदे के मुताबिक ये वजन 18 किलोग्राम होना चाहिए था ….

कांग्रेस ने तीसरा दावा किया कि ताबूतों के साथ वेल्डिंग के जरिए छेड़छाड़ की गई थी …. जिसके कारण उसमें सुराख होने का ख़तरा बढ़ गया था …. इसी वजह से विवादास्‍पद ताबूत इस्तेमाल के योग्य नहीं पाए गए थे ….

बकौल कांग्रेस जनता की गाढ़ी कमाई के पैसे शहीदों के शवों के काम न आकर दलालों व भ्रष्‍ट अफसरों की जेब में चले गए ….

इस प्रकार कांग्रेस ने देश की जनता के सामने देश की संसद में एक घोटाले का बवंडर खड़ा किया ….

शहीदों के शव के ताबूतों में घोटाले को सुनकर देशवासियों की भावना काफी आहत हुई ….

घोटाले के आरोपों के छींटे तत्कालीन रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडिस पर भी पड़े …. वो इस मामले में मुख्य अभियुक्त बनाये गए …. जॉर्ज साहब को अपनी कुर्सी से भी हाथ धोना पड़ा ….

लेकिन ….

कांग्रेस द्वारा लगाये गए कारगिल युद्ध के दौरान हथियारों और ताबूतों की खरीद में घोटाले के आरोपों से तत्कालीन एन.डी.ए. सरकार और तत्कालीन रक्षामंत्री जॉर्ज साहब को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बरी कर दिया गया था ….

करीब 16 वर्षों के बाद इस मामले में सी.बी.आई. ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की …. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन रक्षामंत्री और सैन्य अधिकारियों एवं अन्य किसी को भी दोषी न मानते हुए इस मामले को बंद करने के निर्देश दे दिए ….

लेकिन इन 16 वर्षों में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते आते तक तत्कालीन अटल सरकार और तत्कालीन रक्षामंत्री जॉर्ज साहब की काफी किरकिरी हो चुकी थी ….

दुर्भाग्य से कांग्रेस द्वारा रचित फ़र्ज़ी ताबूत घोटाले में अपनी कुर्सी गंवाने वाले ईमानदार रक्षामंत्री जॉर्ज साहब आज अपना बचाव करने की स्थिति में नहीं …. उनके पिछले १०-१२ वर्ष काफी कष्टदायक और गुमनामी के अंधेरे में गुजरे ….

कांग्रेस ने षड्यंत्रपूर्वक अटल सरकार और जॉर्ज साहब की प्रतिष्ठा को भारी क्षति पहुँचा दी थी ….

बिल्कुल यही कहानी कांग्रेस 2018-19 में भी दोहरा रही है …. रॉफेल घोटाला …. सबकुछ वो ही …. चौकीदार चोर है के नारे …. देश की संसद को हाई-जैक करने की कोशिश …. एक ही बात को बार बार लगातार इतनी वार दोहरा देना कि देश की जनता उसे सच मान बैठे ….

रॉफेल पे यही बवंडर राहुल गांधी ने हालिया 5 राज्यों के चुनाव प्रचार में देश की जनता के सामने खड़ा किया था ….

हद तो तब हो गयी जब संसद में राहुल गांधी ने एक ऐसी टेप सुनाने का प्रयास किया किया जिसकी प्रमाणिकता की गारंटी वो स्वयं नहीं ले पाये ….

विडंबना देखिये ….

भाजपा थिंक-टैंक 1999 में भी कांग्रेस को मुंहतोड़ जवाब देने के बजाय उनके षड्यंत्र का शिकार हो गया था …. कांग्रेस के फैलाये भ्रमजाल नैरेटिव प्रोपगेंडा में फंस गया था ….

आज 2018-19 में भी भाजपा का भारी-भरकम थिंक-टैंक और तथाकथित शाहणक्य और 1000 वर्षों के मजबूत हिन्दू राजा भी कांग्रेस के फैलाये फ़र्ज़ी घोटाले के भ्रमजाल नैरेटिव और प्रोपगेंडा में फंसने की कगार पे है ….

ताबूत मुद्दे पे भाजपाई ना 1999 में कांग्रेस को उसकी भाषा मे जवाब दे पाये थे ….

ना भाजपाई रॉफेल मुद्दे पे अभी तक 2018-19 में कांग्रेस को उसकी भाषा में मुंहतोड़ जवाब दे पाये हैं ….

सीखने को यदि कुछ दुश्मन से भी मिले तो बेझिझक सीखना चाहिए ….

यही छल कपट प्रपंच नैरेटिव प्रोपगेंडा मक्कारी अभी भाजपा को कांग्रेस और कांग्रेस पोषित मीडिया और वामपंथियों से सीखने की जरूरत है।

⁃ जगमोहन अग्रवाल

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