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रोशनी एक्ट, कश्मीरी धोखे

कश्मीर भारत माँ के ह्रदय में रिस्ता हुआ फोड़ा है, मवादग्रस्त कैंसर है, हज़ारों भारतीय नौनिहालों का हत्यारा है यह कश्मीर रूपी राक्षस ! कश्मीर से संबंधित कोई भी साहित्य पढ़ता हूँ या किसी गोष्ठी में शामिल होता हूँ तो मन भारी हो जाता है कि कैसे कश्मीर ने 35 A और 370 के चलते…भारत के संप्रभु राष्ट्र होने पर प्रश्नचिन्ह लगा रखा है। भारत ने पिछले 70 साल में कश्मीरियों और पाकिस्तानियों से लगातार मार खाई हैं। आज भी भारतीय नेताओं की अविवेकशील, अदूरदर्शितापूर्ण और घुटनाटेक नीतियों के कारण भारत के हिस्से में दर्द ही दर्द है। पैसों की लूट है, जवानों की लाशें हैं, विधवाओं का करुण क्रंदन है।

कल रात इंडो एनालिटिक्स की कश्मीर संबंधी कॉन्क्लेव में शामिल हुआ। देश के सबसे बड़े नाम जनरल जी डी बक्शी, कर्नल आरएसएन सिंह,सुशील पंडित, शब्दों के जादूगर पुष्पेंद्र कुमार जी, ‘वन मैन आर्मी- जम्मू हाईकोर्ट के वकील अंकुर शर्मा, कैप्टन रिज़वी, कश्मीरी पंडित-टीवी डिबेटर ललित अम्बरदार और जावेद शाह से मुलाकात हुई। कश्मीर मोर्चे पर उनके अनुभव, वहां 70 साल से जारी अंतहीन जेहादी षड्यंत्रों को सुना। देश द्वारा कमाए गए खरबों रु के लूट के तरीके को जाना। 35 A और 370 के दानवीय परिणामों पर प्रबुद्ध वक्ताओं का सिर पीटना देखा। वर्तमान सरकार की आंखों में धूल झोंकने वाली देशविरोधी चालों को समझा ! (सभी वक्ताओं के ओजपूर्ण-ज्ञान से परिपूर्ण भाषण P 24×7 यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध हैं )

सन 2001 में फर्रुख अब्दुल्लाह के ‘रोशनी एक्ट’ को जानेंगे तो होश उड़ जाएंगे। इस योजना के तहत कश्मीर के जेहादी सरकारें 20 लाख कनाल सरकारी भूमि की लूट की ज़िम्मेदार है ! सरकारें अनाधिकृत कब्जें खाली करातीं हैं मग़र कश्मीर के जेहादी सरकारों ने जानबूझकर सरकारी ज़मीन और कृषि उपयुक्त भूमि पर घाटी के मुस्लिमों का कब्ज़ा करा दिया ! बाद में रोशनी एक्ट के तहत कब्जेदारों को यह छूट दी गई कि वह कब्ज़ा की गई जमीन को मार्किट रेट से खरीद लें ! लेकिन हुआ यह कि रु 2000000/- प्रति एकड़ भूमि को परती ज़मीन कहकर घाटी के मुसलमानों को रु 100/- प्रति एकड़ के दाम से कब्जेदार मुस्लिमों में लुटा दिया गया।

पहले इस योजना की कटऑफ डेट 1999 तक थी लेकिन अलग अलग जेहादी सरकारों ने 2007 तक नई नई ज़मीनों पर कब्जे कराये और लुटेरों को यह ज़मीन कौड़ियों के दाम लुटा दी ! फर्रुख सरकार ने कहा था कि यह ज़मीन बेचकर रु 25000 करोड़ जुटाए जाएंगे जिससे बिजली परियोजनाएं लगाई जाएंगी लेकिन 13 साल में सरकारी ख़ज़ाने में सिर्फ 76 करोड़ रु ही आ पाए। 20 लाख कनाल भूमि,जिसमे से 90 % भूमि जम्मू क्षेत्र की, घाटी के मुस्लिमों को सौंप दी गई। घाटी के हज़ारों जेहादी -भारत विरोधी लोगों को जम्मू के हिन्दू बाहुल्य क्षेत्रों में बसा दिया गया। आज जम्मू क्षेत्र भी इस्लामिक प्रभुत्व वाला क्षेत्र बनने की कगार पर खड़ा है।

इस षड्यंत्र के खिलाफ श्री अंकुर शर्मा ने लम्बी लड़ाई लड़ी और हाईकोर्ट के द्वारा इस जेहादी एक्ट पर रोक लगवाई। अभी नवम्बर में राज्यपाल ने इस एक्ट को खत्म करने की घोषणा कर दी परंतु यहाँ भी केंद्र द्वारा नियुक्त राज्यपाल ने यह जोड़ दिया कि जिनको ज़मीन प्राप्त हो चुकी है उनसे वापस नहीं ली जाएगी ! राज्यपाल के इस निर्णय के विरोध में श्री अंकुर शर्मा ने पुनः न्यायालय में याचिका डाली है। मग़र षड्यंत्र और जिहाद तो कश्मीरियों और वहां की सरकारों की घुट्टी में है। कोर्ट के स्टे के बाद पिछले वर्ष जम्मू में कब्ज़ा की गई ज़मीनों पर से कब्ज़े हटवाने के निर्देश पर महबूबा मुफ्ती ने आदेश निकाला कि पुलिस कब्ज़े खाली कराने में कोई मदद नहीं करेगी और कोई अधिकारी कब्ज़े खाली कराने कब्ज़ास्थल पर नहीं जाएगा ! जम्मू और घाटी में खरबों रु की ज़मीन अभी भी जेहादी कब्ज़े में है ! केंद्र चुपचाप तमाशा देखता रहा है,जबकि इस समय तो केंद्र शासन है सम्पूर्ण कश्मीर में !!
आज कितने लोग जानते है कि बिहार को सहायता रु 835 रु प्रति व्यक्ति है वहीं कश्मीर में 9800 रु प्रति व्यक्ति केंद्रीय सहायता है। कश्मीर घाटी में सरकारी रोज़गार दर पूरे देश मे अधिकतम है। भारत से घ्रणा करने वाले लोगों के पास सरकारी नौकरी, कृषि-भूमि, सेब, मेवों के बाग़ात, कुटीर उद्योग और पर्यटन जैसे साधन उपलब्ध है। यही लोग भारत के विरोध में पत्थर-AK-47 चलाते हैं। ऐसे लोगों को सरकार नौकरियां बांटती है। इनसे गुपचुप और खुलेआम वार्ता चलाती है ! पत्थरबाज कश्मीरी आज भी आतंकियों के साथ मुठभेड़ों के दौरान सुरक्षा बलों पर पत्थर चला रहे हैं !!

इधर राज्यपाल ने अलगाववादियों के समर्थन में इस्तीफा देने वाले आईएएस अधिकारी शाह फैज़ल से इस्तीफा वापस लेने की विनती की है ! उन्हें यह भी आश्वासन दिया है कि वह जहां चाहें वहां उन्हें नियुक्ति दी सकती है !! साथियों ‘रोशनी एक्ट’ जैसा कोई कानून आज तक किसी देश मे कभी भी लागू नहीं हुआ !

साभार पवन सक्सेना

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