“इस्लाम कबूल कर लो…वरना….
वरना क्या ???
मौत की सज़ा मिलेगी……
पूस का 13वां दिन…. नवाब वजीर खां ने फिर पूछा…. बोलो इस्लाम कबूल करते हो ?
छोटे साहिबजादे फ़तेह सिंह जी (आयु 6 वर्ष) ने पूछा…. अगर मुसलमाँ हो गए तो फिर कभी नहीं मरेंगे न ?
वजीर खां अवाक रह गया…. उसके मुह से जवाब न फूटा।
तो साहिबजादे ने जवाब दिया कि जब मुसलमाँ हो के भी मरना ही है, तो अपने धर्म में ही अपने धर्म की खातिर क्यों न मरें ?
दोनों साहिबजादों को ज़िंदा दीवार में चुनवाने का आदेश हुआ ।
दीवार चुनी जाने लगी ।
जब दीवार 6 वर्षीय फ़तेह सिंह की गर्दन तक आ गयी तो 8 वर्षीय जोरावर सिंह रोने लगा….. फ़तेह ने पूछा, जोरावर रोता क्यों है ?
जोरावर ने कहा रो इसलिए रहा हूँ कि आया मैं पहले था पर धर्म के लिए बलिदान तू पहले हो रहा है……
उसी रात माता गूजरी ने भी ठन्डे बुर्ज में प्राण त्याग दिए ।
गुरु साहब का पूरा परिवार 6 पूस से 13 पूस… इस एक सप्ताह में धर्म के लिए, राष्ट्र के लिए बलिदान हो गया ।
दोनों बड़े साहिबजादों, अजीत सिंह और जुझार सिंह जी का बलिदान दिवस !
कितनी जल्दी भुला दिया हमने इस बलिदान को ?”
आज कई हिंदू पाश्चात्य संस्कृति के काल्पनिक सेंटाक्लोज को बच्चों में टॉफी, गोली, खिलौने, उपहार आदि देने वाले ‘सन्त’ के रूप में मनाते हैं।उन्हें अवश्य ही मनन करना चाहिए कि दधीचि ऋषि ने जनकल्याण के लिए अपने शरीर की हड्डियां, व सिख गुरुओं ने अपने पुत्र तक बलि चढ़ा दिए… क्या आपके अपने समाज के, पूर्वजों के प्रति इनकी उपलब्धियां कम पड़ गयीं?
इनकी उपहार स्वरूप कुर्बानी की तिथियों में काल्पनिक सैंटाक्लौस की गोली-टॉफी नहीं, बल्कि अपने शूरवीरों से प्रेरणा लेने का प्रयास करें व उन्हें याद रखें।
साथ ही कई हज़ार वर्षों से चली आ रही तुलसी पूजन को भी निभायें। तुलसी मात्र एक वन की घास नहीं, बल्कि आपके गृह में रहनेवाली साक्षात लक्ष्मी हैं जो आपकी आपदाओं से रक्षा भी करती हैं। भगवान श्रीराम तक तुलसी पूजन करते थे।
हे ईसाई धर्म प्रचारको, आप लोग अपने मत में आस्था रखो पर हमारे गरीब और लाचार हिंदुओं का धर्म-परिवर्तन मत करो| हमारे सनातन धर्म की निंदा और हम पर झूठे दोषारोपण मत करो|
क्राइस्ट एक चेतना है — श्रीकृष्ण चैतन्य या कूटस्थ चैतन्य| ईश्वर को प्राप्त करना हम सब का जन्मसिद्ध अधिकार है| सभी प्राणी ईश्वर की संतान हैं| जन्म से कोई भी पापी नहीं है| सभी अमृतपुत्र हैं परमात्मा के| मनुष्य को पापी कहना सबसे बड़ा पाप है| अपने पूर्ण ह्रदय से परमात्मा को प्यार करो|
भगवान के नाम पर शराब पी कर, मांस खा कर, और नाच गा कर क्रिसमस का त्यौहार मनाना यह स्पेन और पुर्तगाल की परम्परा है जो योरोप और अमेरिका में फ़ैली, अब भारत में बहुत अधिक लोकप्रिय हो गयी है| ईसाइयों द्वारा टर्की नाम की एक विशेष प्रकार की बतख का मांस और ब्रेड के सॉस को इस दिन चाव से खाया जाता है, और शराब पीकर नाच गा कर इस क्रिसमस के त्यौहार को मनाया जाता है| जीसस क्राइस्ट में आस्था वालों को उनके क्रिसमस की शुभकामनाएँ|
जो ईसाई मतावलंबी हैं या ईसा मसीह में आस्था रखते हैं उनको यह कहना चाहता हूँ कि आप लोग अपने मत में आस्था रखो पर हमारे गरीब और लाचार हिंदुओं का धर्मांतरण यानि मत परिवर्तन मत करो, व हमारे साधू-संतों को प्रताड़ित मत करो| आप लोग हमारे सनातन धर्म की निंदा और हम पर झूठे दोषारोपण भी मत करो|
स्वामी विवेकानंद के शब्दों में आप लोगों ने भारतवर्ष और हम हिन्दुओं को इतना अधिक बदनाम किया है और हमारे ऊपर इतना अत्याचार किया है कि यदि हम पूरे विश्व का कीचड़ भी तुम्हारे ऊपर फेंकें तो वह भी कम पड़ेगा|
आने वाले नववर्ष के बारे में …. काल अनन्त है, आध्यात्मिक मानव के लिये चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नववर्ष है, जनवरी १, अवकाश का दिन हो सकता है नववर्ष तो नहीं है|
ॐ तत्सत् ॐ ॐ ॐ || जय श्री कृष्ण 🙏🏻
⁃ कृपा शंकर