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मृतं राष्ट्रमराजकम्

महाभारत के वनपर्व में यक्ष युधिष्ठिर से प्रश्न करते हैं, “कथं राष्ट्रं मृतं भवेत्”,[१] अर्थात् कैसा राष्ट्र मृत हो जाता है?[१] युधिष्ठिर कहते हैं, “मृतं राष्ट्रमराजकम्”,[२] अर्थात् बिना राजा (=शासन) का राष्ट्र मृत है। भाव यह है अराजकता राष्ट्र को मार देती है।

नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध से अराजकता ही बढ़ रही है, इसमें कोई सन्देह नहीं है। दो इस्लामी विश्वविद्यालयों (जे.एम.आई और ए.एम.यू.) का प्रशासन उपद्रवी छात्रों और असामाजिक तत्त्वों को नियन्त्रित करने के लिए पुलिस बुलाता है तो क्या अनुचित करता है? इसपर शेरवानी पत्रकार कहती हैं इन दोनों विश्वविद्यालयों के मुस्लिम उपकुलपतियों (वी.सी.) को हटाया जाए। विश्वविद्यालय न हुआ शेरवानी पत्रकार के खाला का घर हुआ समझो जिसमें भारत का राज नहीं शेरवानी पत्रकार की इच्छा चलनी चाहिये। जो शेरवानी पत्रकार के अनुसार न चले उसे जे.एम.आई/ए.एम.यू. का वी.सी. बनने का क्या अधिकार है भला? मृतं राष्ट्रमराजकम्।

वैसे बता दें जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों का एक वर्ग इतना मतान्ध है उनके दबाव में आकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने दो मास पहले निर्णय लिया कि भविष्य में विश्वविद्यालय के किसी कार्यक्रम में इज़राइल का कोई प्रतिनिधि नहीं बुलाया जाएग![३] इज़राइल और भारत के राजकीय सम्बन्ध हैं तो क्या हुआ, जामिया के छात्र कहें इज़राइल का प्रतिनिधि नहीं आएगा तो नहीं आएगा। अर्थात् देश की राजधानी में राष्ट्र के अन्दर एक और राष्ट्र है जामिया जिसमें भारत का राज नहीं चलता, जामिया के छात्रों की अराजकता चलती है। मृतं राष्ट्रमराजकम्।

कर्णावती (अहमदाबाद) में लोगों का पुलिस पर पथराव आपने देखा। इसे गुजराती चैनलों ने दिखाया पर क्या देश के प्रमुख चैनल ने बार-बार दिखाया? मैं नहीं जानता। रामचन्द्र गुहा को पुलिसकर्मी धीरे से धकिया दें तो समाचार है पर बालकों और किशोरों के साथ मिलकर एक अराजक भीड़ पुलिसकर्मियों पर पत्थर और ईंटें बरसाए वह समाचार नहीं। ऐसे अराजक तत्त्वों को गोली चालाने के लिए अपना कन्धा देने वाले नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोधी देश की हत्या में सहायक सिद्ध हो रहे हैं। मृतं राष्ट्रमराजकम्।

बंगेश्वरी की बात करें। बंगाल कईं दिनों तक जलता रहा, कईं ट्रेनें जलाईं गईं। बंगेश्वरी ने कहा बस कुछ ट्रेनें जला दी गयीं और रेल्वे ने इतनी सारी ट्रेनें निरस्त कर दीं। अब ट्रेनें जलेंगीं तो क्या भारतीय रेल बंगाल में महाराजा एक्स्प्रेस भेजेगा? बंगेश्वरी की नाक के नीचे दिन-दहाड़े उपद्रव हुआ, कितने लोग ट्रेन जलाने के आरोप में पकड़े गये? बंगेश्वरी मुख्यमन्त्री होकर स्वयं विरोध प्रदर्शन कर रहीं हैं। और अब कह रहीं हैं संयुक्तराष्ट्र के द्वारा भारत में नागरिकता संशोधन अधिनियम पर जनमतसंग्रह (referendum) होना चाहिए। भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा कराया गया लोकसभा चुनाव जनमतसंग्रह नहीं होता है न, अतः संयुक्तराष्ट्र को प्रत्येक अधिनियम पर जनमतसंग्रह करना चाहिए। बंगेश्वरी वस्तुतः अराजकता का सोलह कलाओं वाला पूर्णावतार है, जो स्वयं शासक होते हुए भी अराजक है। सामान्य अवतार दुष्कृतों के विनाश के लिए होता है, पर यह अवतार राष्ट्र की मृत्यु के प्रयास के लिए हुआ है। मृतं राष्ट्रमराजकम्।

इन अराजक तत्त्वों को पहचानें और अगले चुनावों में इनकों इनका स्थान दिखाएँ। भारत को अराजक न होने दें, भारत को मृत न होने दें।

[१] मृतः कथं स्यात्पुरुषः कथं राष्ट्रं मृतं भवेत्, श्राद्धं मृतं कथं च स्यात्कथं यज्ञो मृतो भवेत् (०३.२९७.५८)

[२] मृतो दरिद्रः पुरुषो मृतं राष्ट्रमराजकम्, मृतमश्रोत्रियं श्राद्धं मृतो यज्ञस्त्वदक्षिणः (०३.२९७.५९)

[३]

– नित्यानंद मिश्रा

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