क्या आपने कभी सोचा है कि सन १९६२ में हम चीन से बहुत बुरी तरह अपमानित होकर क्यों हारे ?
चारो ओर से हुई आलोचना से दबाव में आकर भारत सरकार ने इसकी जाँच ऑस्ट्रेलिया के अँगरेज़ Lieutenant General Henderson Brooks और भारतीय Brigadier General Premindra Singh Bhagat से करवाई थी। उन्होंने मामले की पूरी जाँच कर के इसकी रिपोर्ट भारत सरकार को दी।
इस रिपोर्ट का नाम Henderson Brooks-Bhagat report है जो अभी तक परम गोपनीय है|। इसकी एक ही प्रति छपी थी जिसको देखने का अधिकार सिर्फ भारत के प्रधानमंत्री को ही है। भारत का प्रधानमंत्री भी एक शपथ के अंतर्गत इसकी चर्चा किसी से नहीं कर सकता। इतनी परम गुप्त रिपोर्ट है यह।
पर ऑस्ट्रेलिया के एक अँगरेज़ खोजी पत्रकार Neville Maxwell ने इस रिपोर्ट के १२६ पृष्ठों को पता नहीं कहाँ से खोज निकाला और अपनी निजी वेबसाइट पर 17 March 2014 को डाल दिया। इस से बड़ी हलचल मच गयी। भारत के पूर्व रक्षामंत्री A.K. Antony ने इसे अत्यधिक संवेदनशील बताकर इस पर किसी भी तरह की चर्चा या बहस से मना कर दिया। हालांकि इस पर इंग्लैंड में एक पुस्तक भी छप गयी थी| वह पुस्तक इंग्लैंड में खूब बिकी थी।
उस लीक हुई रिपोर्ट के अनुसार भारत की १९६२ में हुई अपमानजनक पराजय का सारा दोष तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरु की दोषपूर्ण नीतियों को दिया गया था| साढ़े छप्पन वर्षों के बाद भी वह रिपोर्ट परम गोपनीय है क्योंकि उसमें नेहरु की गलती सिद्ध होती है| नेहरु ने जान बूझकर भारत को हरवाया था| उस समय चीन की स्थल सेना भारत की सेना में मुकाबले बहुत कमजोर थी, चीन के पास वायुसेना तो थी ही नहीं| भारत के पास वायुसेना थी जिसका नेहरू ने उपयोग नहीं होने दिया| चीनी लोग साहसी नहीं होते, वे एक डरपोक कौम हैं| उस डरपोक कौम से हुई हमारी हार वास्तव में बहुत अपमानजनक थी|
अंत में एक बात और बताता हूँ कि चीन में माओ सता में अपने स्वयं के पराक्रम से नहीं आया, बल्कि स्टालिन द्वारा भेजी गयी रूसी सेना के दम पर आया था| उसका तथाकथित Long March पूरी तरह एक ढकोसला था| पर हमारे यहाँ कई लोगों के लिए माओ भी आदर्श है, और नेहरु का पवित्र परिवार अभी भी पूजनीय है|
– कृपा शंकर