उस प्रधानमंत्री का नाम था मोरारजी देसाई।
मोरारजी देसाई नेहरु के ज़माने से ही प्रधानमंत्री बनना चाहते थे, और उन्हें पूरी उम्मीद थी कि नेहरु की मौत के बाद तो इन्हें PM बनने का मौक़ा मिल ही जाएगा लेकिन पहले शास्त्री फिर नंदा और अंत में इंदिरा गांधी को PM बना दिया गया लेकिन मोरारजी को मौक़ा नहीं मिला। उसके बाद मोरारजी ने कोंग्रेस पार्टी छोड़ दी।
1977 में बनी जनता पार्टी की सरकार के दौरान मोरारजी का सपना आख़िरकार साकार हुआ। वो प्रधानमंत्री बन गए। उसी समय पाकिस्तान में जिया उल हक़ ने ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो का तख़्ता पलट कर ख़ुद को देश का सर्वे सर्वा घोषित कर दिया था। भुट्टो अक्सर राजनीति के अनुभव सीखने के लिए मोरारजी को फ़ोन करता था।
अब जानने लायक बात यहाँ से शुरू होती है। मोरारजी देसाई को RAW और उसके चीफ़ से नफ़रत थी, RAW का गठन इंदिरा गांधी ने करवाया था और रॉ का चीफ़ उन्होंने रामनाथ काओ नामक जिस ऑफ़िसर को बनवाया था उसके बारे में मोररजी का मानना था कि वो इंदिरा का आदमी है और इमर्जेन्सी के दौरान उसने इंदिरा गांधी को सहयोग किया था। तो मोरारजी ने आते ही रॉ का बजट आधा कर दिया।
ख़ैर इसी दौरान रॉ के पाकिस्तानी जासूसों को शक हुआ कि पाकिस्तान कहूटा में कुछ ऐसा कर रहा है जिससे उसके न्यूक्लीयर बम बनाने का अंदेशा हो रहा है।
इसके लिए हमारा रॉ का एक जासूस कहूता के उस प्लांट के पास नाई की दुकान खोल कर बैठा जिससे वहाँ काम करने वाले जासूसों के बालों के सैम्पल लिए जा सकें। उस सैम्पल्ज़ को भारत भेज कर ये पुष्टि कराई गई तो पता चला कि बालों में रेडीएशन के नमूने हैं। उसी दौरान Israel को भी ये अपने Mossad के जासूसों के ज़रिए ये सूचना मिल गई, कि पाकिस्तान नूक्लीअर बम बना रहा है।
Israel के FM यानि फ़ॉरेन मिनिस्टर इंडिया आए, इस दौरान रॉ ने भी मोरार ji से ये सब जानकरियाँ साझा कीं और नूक्लीअर प्लांट का पूरा नक़्शा हासिल करने के लिए पाकिस्तान में पाकिस्तानी जासूस को देने के लिए पैसा माँगा जो सरकार की अनुमति के बिना नहीं दिया जा सकता था। मोरारजी ने एक भी पैसा देने से मना कर दिया।
Israel के FM जो उस समय भारत के दौरे पर आए थे उन्होंने मोरारजी से कहा कि वो कहूटा के उस प्लांट को एयर स्ट्राइक करके उड़ा देंगे, लेकिन इसमें उन्हें भारत का सिर्फ़ इतना सहयोग चाहिए कि भारत रीफ़्यूअलिंग के लिए उसे अपना एयर बेस इस्तेमाल करने दे।
मोरार जी ने केवल उन्हें मना नहीं किया, बल्कि ख़ुद जिया उल हक़ को रॉ के जासूसों, उनकी जानकारी और Israel के प्लान के बारे में सब बता दिया।
जिया उल हक़ ने फिर एक एक जासूस को चुन चुन कर मारा और अपना प्लांट भी सुरक्षित कर लिया।
जिसके एवज में पाकिस्तान ने मोरारजी को अपना सर्वोच्च सम्मान निशान ए पाकिस्तान भी दिया।
अपना मूत्र पीने वाले मोरारजी को निशान ए पाक मिल गया, और पाकिस्तान को परमाणु बम मिल गया, जिसके दम पर वो दो कौड़ी का देश हमें बराबरी से आँखें दिखाता है।
–Amit Chaturvedi