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भारत के राजनैतिक दलों को बहुसंख्यक वोट की चिन्ता क्यों नहीं है?

भारत के सभी प्रमुख विपक्षी दलों में आपसी सैद्धान्तिक मतभेदों को भुलाकर न केवल भाजपा के विरुद्ध बल्कि आतंकियों तथा पाकियों के विरुद्ध भारतीय सेना की कार्यवाई के विरुद्ध भी अभूतपूर्व एकता देखी जा रही है । इन दलों को इस बात की चिन्ता नहीं है कि बहुसंख्यक तथा देशभक्त तबकों से वे कट जायेंगे । इन राजनैतिक दलों को बहुसंख्यक वोट की चिन्ता क्यों नहीं है?

क्योंकि उनके वोटबैंक ही दूसरे किस्म के हैं । सार्वजनिक तौर पर वे गंगा−जमुनी भाषा बोलते हैं किन्तु आतंकियों तथा पाकियों के विरुद्ध भारतीय सेना की कार्यवाई का विरोध करके इन दलों ने अपने वास्तविक चरित्र को उजागर कर दिया है । चिन्ता की बात यह नहीं है कि विपक्ष के नेतागण देशभक्त नहीं है,चिन्ता की बात यह है कि भारत के मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा उनके साथ है,और इन मतदाताओं में बहुत से हिन्दू भी हैं जो ब्रिटिश काल से ही जाति या अन्य आधारों पर ‘फूट डालो राज करो’ की नीति के शिकार रहे हैं ।

पुलवामा काण्ड के बाद केन्द्र सरकार और भारतीय सेना पाकिस्तान में घुसकर कार्यवाई करने का दुस्साहस कर सकती है इसका अनुमान न तो पाकियों को था और न ही भारत के विपक्ष को । मणिशंकर अय्यर जैसे नेताओं ने मोदी को हटाने में पाकिस्तान से सहायता माँगी थी । पुलवामा काण्ड वही “सहायता” थी । उसके बाद विपक्ष ने भी जमकर प्रचार किया कि मोदी सरकार बदला नहीं ले रही है,अतः नालायक है । इसी प्रचार के बलपर वे चुनाव जीतने का सपना देख रहे थे ।

जबतक रफाले का पूरा बेड़ा भारतीय वायुसेना में कार्य न करने लगे और कई अन्य कमियों को भी दूर न कर लिया जाय तबतक पाकिस्तान में घुसकर कठोर कार्यवाई की जाय यह न तो सरकार चाहती थी और न सेना,और मैंने भी युद्धोन्माद भड़काने वाला एक भी पोस्ट नहीं डाला था । मैं इस बात का समर्थन नहीं कर सकता कि हम दो घूँसा मारे और एक घूँसा खायें । मैंने लिखा भी था कि मारना ही पड़े तो शत्रु की एकतरफा पिटाई करनी चाहिये । एकतरफा पिटाई के लिये सेना को अभी कुछ और शस्त्रों की आवश्यकता है क्योंकि मोदी से पहले सेना को सुनियोजित तरीके से कमजोर किया जा रहा था जिसकी पूरी भरपाई अभी तक नहीं हो पायी है । पाकिस्तान भी यह जानता है,अतः पाकिस्तान को इसकी हड़बड़ी थी कि भारतीय सेना शस्त्रों की कमी को पूरा कर सके इससे पहले ही भाजपा सरकार चुनाव हार जाय ताकि कश्मीर के बारे में पाकिस्तान की योजना सफल हो ।

बहुत सी बातें मीडिया नहीं बताती । भारत का रक्षा बजट ६० अरब डालर से अधिक का है, पाकिस्तान का केवल १० अरब डालर का है । किन्तु सैनिकों की संख्या तथा सभी प्रमुख शस्त्रादि में वह भारत का आधा है । इसका अर्थ यह है कि पाकिस्तान का वास्तविक रक्षा बजट भारत का आधा है । भारत के विरुद्ध कार्यरत आतंकी भी वास्तव में पाकिस्तानी सेना का ही अघोषित अङ्ग हैं और उनका खर्चा भी पाकिस्तान ही देता है । अतः पाकिस्तान के कुल रक्षा बजट प्लस आतंक−बजट का सम्मिलित आकार ४० अरब डालर के आसपास होना चाहिये जिसमें से ३० अरब डालर उसे सउदी अरब,कतर,चीन,अमरीका, आदि से घोषित या गुप्त सहायता के रूप में मिलता है । हाल में भारत ने जो F−16 मार गिराया है वैसे १४ विमान अमरीका ने मुफ्त में पाकिस्तान को दिये थे और शेष ७२ सबसिडी पर । अमरीका लाख नाटक कर ले,पाकिस्तान उसी के बल पर टिका हुआ है । ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद पाकिस्तान चीन पर निर्भरता को बढ़ा रहा है जिस कारण अमरीका भी चाहता है कि पाकिस्तान को घूस देकर अपने खेमे में रखे । ईरान,चीन,भारत और रूस समेत केन्द्रीय एशिया के देशों के बीच स्थित पाकिस्तान का भू−सामरिक महत्व अमरीका भूल नहीं सकता ।

अतः पाकिस्तान की वास्तविक सैन्य शक्ति भारत की आधी है जिसमें आतंकियों की शक्ति जोड़ दें तो और भी बढ़ जायगी । भाजपा सरकार ने सेना को जानबूझकर कमजोर करने की काँग्रेसी नीति को बदला किन्तु रक्षा बजट पुराने निम्न स्तर पर ही रखा । बहाना है कि विकास कार्यों के लिये संसाधनों की आवश्यकता है,किन्तु रक्षाबजट राष्ट्रीय आय का केवल २⋅१६% है जिसमें वेतन और पेंशन हटा दें तो लगभग १% ही आयुध आदि पर खर्च किया जा रहा है,रक्षा बजट २% से बढ़ाकर ३% कर दें तो आयुधादि के मद में १% के बदले २% मिलेगा,अर्थात रफाले जैसी चीजें लेने के लिये सेना की आर्थिक क्षमता दोगुनी बढ़ जायगी और राष्ट्रीय आय का केवल १% रक्षा हेतु बढ़ाना पड़ेगा । पाकिस्तान का घोषित रक्षाबजट कुल आय का ३% है किन्तु वास्तविक खर्च १०% है जिसमें आतंकियों वाला खर्च सम्मिलित नहीं है । इसके अलावा भारत पर चीन का भी खतरा है । रक्षा बजट बढ़ाने की इस आवश्यकता पर राष्ट्रवादी मीडिया भी मौन है क्योकि मीडिया के मालिक वही सेठ हैं जिनको सस्ते सूद पर बैंकों का सारा पैसा चाहिये जिस कारण तीव्र आर्थिक विकास के बावजूद जनता के बचत पर सूद में पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारी गिरावट की गयी है ।

हाल की घटनाओं से पाकिस्तान परेशान हो गया है क्योंकि जेहादियों के दिमाग में भरा जाता है कि ग़जवा−ए−हिन्द पैगम्बर का आदेश है जिसे पूरा करने में अब कुछ ही देर है,कि भारत एक कमजोर और भीतरी फूट से ग्रस्त देश है जिसे शीघ्र ही पाकिस्तान जीत लेगा,कि भारत से अधिक परमाणु बम पाकिस्तान के पास हैं (भारत के हाइड्रोजन बम की चर्चा भारतीय मीडिया भी नहीं करती,वाजपेयी जी ने स्वयं बयान दिया था और भाभा आणविक शोध केन्द्र के वेबसाइट पर आज भी सबूत मिल जायगा किन्तु भाजपाई नेताओं को कुछ पता ही नहीं है)।

पाकिस्तान की परेशानी यह है कि जेहादियों से इस तथ्य को छुपाना है कि भारत की कार्यवाईयों का समुचित उत्तर देने की औकात उसकी नहीं है,वरना जेहादियों को पता चल जाय कि भारत को हराना असम्भव है तो सारे आतंकी कैम्प रातोरात खाली हो जायेंगे — असम्भव लक्ष्य के लिये कोई पागल ही मरने के लिये तैयार होगा (हाल की घटनाओं के बाद आतंकी कैम्प खाली होने लगे हैं जिस कारण पाकिस्तान अपनी सेना में भर्ती करके प्रशिक्षित आतंकियों का लाभ उठाना चाहता है )। पाकिस्तान के भारतीय मित्रों का भी यही उद्देश्य है कि जेहादियों का हौसला टूटने न दें, जिस कारण सारे सर्जिकल स्ट्राइकों को ये लोग झुठलाना चाहते हैं । इनका वोटबैंक ही देशद्रोही है जिस कारण इतना साहस इन नेताओं को है ।

किन्तु एक और कारण है । रामदेव जैसों ने स्विस बैंक खातों के बारे में इतना हल्ला मचा दिया कि मोदी सरकार के आते ही सारे नेताओं के पैसे कराची और शंघाई ट्रान्सफर हो गये,अब इन भारतीय नेताओं की औकात नहीं है कि पाकिस्तान और चीन की बात न मानें । अतः दोकलाम को धोखालाम कहेंगे और बालाकोट को बालाखोट । धोखा और खोट तो इन नेताओं में हैं । जिस देश में इतने अधिक देशद्रोही नेता और उनके वोटर रहेंगे उसके विरुद्ध पापिस्तान जैसे पिद्दी देश भी ग़जवा−ए−हिन्द का सपना क्यों न देखें?

अतः सभी भारतीयों का कर्तव्य है कि चुनाव में एकजुटता का परिचय देकर देश को बचायें और गद्दारों को हरायें । २०१४ में जो लहर थी उसमें भी भाजपा को बालबाल का बहुमत मिला था । इसबार ग्रह उतने अच्छे नहीं हैं,अतः बहुमत की आशा नहीं है । किन्तु मिली जुली सरकार भी देशभक्त हो तो देश को बचाया जा सकता है । वरना अब गद्दारों ने इस देश को मिटाने की ही ठान ली है ऐसा स्पष्ट दिख रहा है । मनुष्य शुभकर्म करने की ठान ले तो ग्रहों का फल सुधर सकता है,इसी को तो ग्रहशान्ति कहते हैं । ग्रहशान्ति केवल मन्त्रपाठ नहीं है,सारे शुभकर्म ग्रहशान्ति के अन्तर्गत आते हैं । भाजपा और मोदी में हजारों कमियाँ हो सकती हैं,आखिर मनुष्य ही तो हैं । किन्तु गद्दार तो नहीं हैं । चुनाव तक अन्धभक्ति की आवश्यकता है,उसके बाद हम मोदी सरकार की आलोचना करेंगे ताकि और भी अच्छा कार्य करे ।

— श्री विनय झा
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