“बदले की भावना से कार्रवाई कर रही है सरकार” ये नारा 40 साल पहले चल गया था पर आज नहीं चलेगा।
सोनिया गाँधी और मनमोहन सिंह समेत उसके सभी सिपहसालार चीखपुकार मचा रहे हैं कि मोदी सरकार कांग्रेस नेताओं के खिलाफ बदले की भावना से काम कर रही है — चाहे वो चिदंबरम की गिरफ़्तारी हो या शिवकुमार की या रतुल पूरी पर शिकंजा हो, सब मे बदला नज़र आ रहा है।
मनमोहन सिंह भी बोले हैं कि सरकार बदले की भावना से काम करना बंद कर कुछ ठोस काम करे। मतलब ये जनाब रेनकोट पहन कर 12 लाख करोड़ के घोटाले करा गए लेकिन मोदी आँखे बंद कर ले और सबको छोड़ दे।
सोनिया गाँधी और कांग्रेस के सभी नेता सोच रहे हैं कि जैसे 40 साल पहले जनता पार्टी के राज के खिलाफ ये बदले की भावना से काम करने का नारा काम कर गया था। तब इंदिरा गाँधी मोरारजी देसाई की सबसे कमजोर कड़ी चरण सिंह को तोड़ने में कामयाब हो गई जिसे प्रधान मंत्री बना कर 22 दिन में पटक दिया और इंदिरा गाँधी 1980 में फिर चुनाव जीत गई थी। वैसे ही अबकी भी ये नारा चल जायेगा और कांग्रेस सत्ता में वापस आ जाएगी।
लेकिन ये विलाप तो कांग्रेस मोदी के पहले 5 साल के शासन में भी करती रही है लेकिन मोदी तो और ज्यादा शक्ति से जीत कर आ गया मगर कांग्रेस को कोई फायदा नहीं हुआ।
आज से 40 साल पहले ये नारा केवल इसलिए चल गया था क्यूंकि जनता पार्टी में आपसी फूट थी और उस फूट का फायदा इंदिरा गाँधी को मिला था। लेकिन आज मोदी सरकार अपने आप में एक बहुत मजबूत सरकार है जिसमे निर्णय लेने की शक्ति है। दूसरी बात कांग्रेस के हर क्षेत्र में किये घोटालों ने उसकी विश्वसनीयता को बिलकुल ख़त्म कर दिया है और मजे की बात ये है कि वो घोटाले अभी भी खुल रहे हैं।
एक कारण और भी था 40 साल पहले इंदिरा के वापस आने का कि उस समय कांग्रेस पाकिस्तान की तरफ इतनी झुकी हुई नहीं थी लेकिन आज तो कांग्रेस पूरी तरह आतंकियों के साथ खड़ी नज़र आती है और जैसे पाकिस्तान की ही पार्टी बन कर रह गई है भारत में — (पाकिस्तान नेशनल कांग्रेस) जिसके नेता पाकिस्तान से मोदी को हटाने की भीख मांगते हैं और पाकिस्तान दुनिया भर में भीख मांगता है।
ऐसे में, उसके इस नारे का कि सरकार बदले की भावना से काम कर रही है, कोई खरीददार नहीं है। मोदी सरकार में अब कोई चरण सिंह जैसी कमजोर कड़ी नहीं है जिसे सोनिया गाँधी तोड़ने की हिम्मत कर सके।
कांग्रेस के नेताओं को मोदी सरकार पर बदले की राजनीती करने का आरोप लगाने से पहले अपने गिरेबान में झाँक लेना चाहिए कि किस तरह 12 वर्ष गुजरात में मोदी, अमित शाह और उनके अनेक मंत्रियों को दुर्भावना से निशाना ही नहीं बनाया बल्कि मोदी की तो हत्या की साजिश भी रची। उन्होंने फिर भी कानून की प्रक्रिया में पूरा सहयोग किया और कभी भाजपा के लोगों ने सड़कों पर प्रदर्शन या दंगा फसाद नहीं किया जो आज कांग्रेसी कर रहे हैं।
⁃ सुभाष चन्द्र