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इस्लाम का राजनितिक चरित्र

मेरे बहुत सारे मुस्लिम मित्र हैं…लगभग सारे पाकिस्तानी. और उनसे मित्रता बहुत ही सहज और साफ होती है. भारतीय ज्यादा कॉम्प्लिकेटेड होते हैं. पहले तो मिलने से कुछ ऐसा मुँह बनाते हैं और नाक चढ़ाते हैं कि रंगा सियार की कहानी याद आती है. एक समय मैं हिन्दू सेंटीमेंट्स के आधार पर उनसे मित्रता बनाने का प्रयास किया करता था, पर अब समझ में आता है कि यह बहुत बड़ी भूल है. हिन्दू शब्द आते ही उसमें से ज्यादातर सरपट भागते हैं, आपसे जुड़ने से बचना चाहते हैं. दूसरे उन्हें डर लगा रहता है जैसे सामने वाला उनका फायदा उठा लेगा. उनसे कुछ चुरा या छीन लेगा.

पाकिस्तानियों से मित्रता सहज और सरल होती है. जो कुछ कहना होता है, साफ साफ कह देते हैं. भारतीय मुसलमान बहुत कुछ छुपा-दबा कर रखते हैं, पाकिस्तानी खुल्लमखुल्ला कहते हैं.

पिछले हस्पताल में एक मित्र थे. मेरे समवयस्क थे, उनके बच्चे भी मेरे बच्चों की उम्र के ही हैं. उनकी और मेरी चिन्ताएं और समस्याएँ समान ही हैं. इस्लामिक स्टैण्डर्ड से उदार और खुले विचारों के हैं. तो हम दोनों हमेशा साथ साथ दिख जाते थे. एशियाई होने की वजह से यहाँ के लोगों को अक्सर कंफ्यूजन ही रहता था…अलग अलग मिलने पर लोग अक्सर मुझे उनके नाम से बुलाते थे या उन्हें मेरे नाम से.

एक दिन भाईजान छुट्टियाँ मनाने गए – इस्ताम्बुल, तुर्की. घूम फिर कर आये तो बहुत प्रभावित थे… इस्ताम्बुल बहुत सुंदर है. सबकुछ पुराना, ऐतिहासिक है, मगर शानदार और आलीशान है. जरा सोचो तो, तुम्हें मालूम है तुर्की में कितने प्रतिशत ईसाई होंगे?

मैंने हिचकिचाते हुए कहा – कितने? 20-30%?

उसने सहजता से कहा – अरे नहीं. मुश्किल से 3%. तुर्की 97% मुस्लिम देश है. जबकि एक समय यह ईसाई साम्राज्य का केंद्र हुआ करता था. मुसलमानों ने जीतने के बाद सबको खत्म कर दिया या मुस्लिम बना दिया.

मैंने कहा – मैं भी यही सोचता था, पर आप ने जिस तरह से सवाल पूछा, मुझे लगा कि शायद इसका कुछ अलग उत्तर होगा. क्योंकि पॉलीटिकल इस्लाम का चरित्र तो यही है. किसी भी देश में मुस्लिम या तो 40% के नीचे होते हैं या फिर 90% के ऊपर. 60-70% मुस्लिम तो कहीं होते ही नहीं. मुस्लिम जब 50% को छू लेते हैं तो फिर वे 90% से पहले रुकते ही नहीं. जबतक दूसरी जनसंख्या इतनी कम ना हो जाये कि वह राजनीतिक चुनौती ना रहे.

उसने कहा – हाँ, पाकिस्तान को ही देख लो. पार्टीशन के समय 30% हिन्दू थे पाकिस्तान में…आज 1-2 % भी नहीं हैं. और जो भी हैं, सिर्फ कराची में, जो विभाजन के समय हिंदुओं का शहर हुआ करता था.
भारत में मुस्लिम पॉपुलेशन कितना है?
मैंने कहा – 20-25% होगा. आज हम लगभग वहीं हैं जहाँ विभाजन के समय थे. या तो एक और विभाजन होगा या किसी को तुर्की जैसा कुछ करना होगा..

उन्होंने सहमति में सर हिलाया – हाँ. बिल्कुल सच है. और कोई उपाय नहीं है.

भारत में किसी मुस्लिम या किसी सेक्युलर से आप खुल कर ऐसी कोई बात नहीं कर सकते. पाकिस्तान के मुस्लिम जानते हैं कि उन्होंने क्या किया है और क्या किया जाता है. उन्होंने पाकिस्तान में यही किया है और वे लगभग वही भारत में हिंदुओं से उम्मीद करते हैं. अब वे कश्मीर या अखलाक को लेकर हल्ला मचाते हैं, जैसे फुटबॉल में कोई खिलाड़ी फ़ाउल होने पर फ्री किक या पेनल्टी माँगने के लिए हल्ला मचाता है. पर इसका मतलब यह नहीं कि वह खुद फ़ाउल नहीं करता. उसे मालूम है कि खेल के नियम अपनी जगह हैं और खेल का दस्तूर अपनी जगह है. अगर खेल हमें समझ में नहीं आता तो इसमें उनकी क्या गलती है?

साभार राजीव मिश्रा

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