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पालघर की दरिंदगी का असली और पूर्ण सत्य

हिन्दुओं का धर्मान्तरण कराने वाली मिशनरियों संस्थाओं को मिलने वाली विदेशी फण्डिंग पर कार्यवाई ही उस क्रोध की जननी है जिसने पालघर में साधुओं पर आक्रमण कराया । साधुओं के साथ कोई बच्चा नहीं था तो बच्चाचोर की झूठी कहानी मनगढ़न्त थी!

अब पढ़िये हिन्दूविरोधी अखबार न्यूयॉर्क−टाइम्स की यह जहरीली रिपोर्ट जिसके अनुसार मोदी सरकार द्वारा दस हजार स्वयंसेवी संस्थाओं को मिलने वाली विदेशी फण्डिंग पर रोक के कारण “कम्पैशन इण्टरनेशनल” जैसी “क्रिश्चियन चैरिटी” जैसी संस्थाओं की भारतीय बच्चों की “समाजसेवा” में बाधा पँहुचेगी ।

कम्पैशन इण्टरनेशनल प्रति बच्चे ३८ डालर मासिक खर्चा देती थी जिस मद में ४५ मिलियन डालर वार्षिक जाते थे — अर्थात् १⋅२ लाख बच्चों का खर्च,किन्तु वास्तविक लाभार्थी बच्चों की संख्या कई गुणा कम थी । अर्थात् उस राशि का अधिकांश हिस्सा अन्य अवैध मदों में सायफन किया जाता था । और बच्चों पर जो वास्तविक खर्च था वह चर्च के माध्यम से खर्च होता था । एक उदाहरण इस रिपोर्ट में ही है — चेन्नइ के एक ‘बाइबिल स्कूल’ में ७३% हिन्दू बच्चे थे जिनको बाइबिल की शिक्षा दी जाती थी । जब जाँच अधिकारियों ने पूछा कि हिन्दू बच्चों को ईसाई धर्मग्रन्थ पढ़ाने के पीछे क्या उद्देश्य है?तो उत्तर दिया गया — नैतिक शिक्षा!

बाइबिल पढ़ने से हिन्दू बच्चे नैतिक बनते हैं,और वेद−पुराण पढ़ने से अनैतिक!

भारत सरकार ने “कम्पैशन इण्टरनेशनल” को दो ऑप्शन दिये — यदि आपको बच्चों की चिन्ता है तो उनकी सहायता वाले कार्यों में ईसाई धर्म की शिक्षा मत घुसायें,अथवा ईसाई मिशनरी ही चलाना है तो धार्मिक संस्था के रूप में अपना पुनः रजिस्ट्रेशन करायें । “कम्पैशन इण्टरनेशनल” ने दोनों ऑप्शन ठुकरा दिये,क्योंकि तब हिन्दुओं का धर्मान्तरण करने का अवसर नहीं मिलता । ईसाई मिशनरी वाले ऑप्शन में भी हिन्दुओं का धर्मान्तरण कराने की छूट नहीं है ।

मोदी से पहले भी कानून वही था,किन्तु लागू नहीं होता था । मोदी ने नेहरू के ही बनाये धर्मान्तरण−विरोधी कानून को लागू कर दिया तो नेहरू के नाती की बीबी को बुरा क्यों लग गया?नेहरू ने यह सोचकर वह कानून बनाया था कि हिन्दू बहुमत वाले देश में यह कानून अल्पसंख्यकों को हिन्दू बनाये जाने से रोकेगा जैसा कि आर्यसमाज चाहता था । नेहरू की सोच यह थी कि हिन्दुत्व में घरवापसी हो तो कानून लागू हो,और हिन्दुओं का धर्मान्तरण कराया जाय तो कानून को अन्धा बना दिया जाय — जैसा कि सात दशकों तक होता रहा ।

न्यूयॉर्क−टाइम्स की यह जहरीली रिपोर्ट संलग्न है । रिपोर्टर ‘सुहासिनी राज’ हैं जो हिन्दू−विरोध में सारी सीमायें तोड़कर जहरीली रिपोर्टिंग करने में सिद्धहस्त हैं ।

https://www.nytimes.com/2017/03/07/world/asia/compassion-international-christian-charity-closing-india.html?rref=collection%2Fbyline%2Fsuhasini-raj

उक्त रिपोर्ट में ईसाई मिशनरियों के प्रति सहानुभूति है,तो इसी अखबार में इसी पत्तलकार की दूसरी रिपोर्ट प्रस्तुत है जिसमें तबलीगी जमात पर कार्यवाई को आम मुस्लिमों का हिन्दूवादी सरकार द्वारा दमन बताया गया और तबलीगी जमात द्वारा कोरोना−वायरस फैलाने वाले प्रमाणों को फर्जी बताया गया,किन्तु इसी रिपोर्ट में कोरोना फैलने के बाद दिल्ली की जामा मस्जिद के भीतर का फोटो भी है जिसमें सामाजिक−दूरी का उल्लङ्घन करके बड़ी संख्या में मुसलमानों का सटकर नमाज पढ़ने का सबूत है ।

फरवरी में तबलीगी जमात द्वारा मलेशिया से एक दर्जन देशों में कोरोना फैलाने का प्रामाणिक रिपोर्ट इसी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने प्रकाशित किया था जिसका लिंक मैंने भी फेसबुक पर दिया था । न्यूयॉर्क टाइम्स ईसाईयों का अखबार है । द⋅पू⋅ एशिया में तबलीगी जमात कोरोना फैलाये तो न्यूयॉर्क टाइम्स को बुरा लगता है,किन्तु भारत में तबलीगी जमात कोरोना फैलाये तो न्यूयॉर्क टाइम्स खून के आँसू रोती है!न्यूयॉर्क टाइम्स अपने को सेक्यूलर कहती है,ट्रम्प की भी विरोधी है,ईसाईयों द्वारा नियन्त्रित है,किन्तु भारत में तबलीगी जमात कोरोना फैलाये तो अमरीका के तथाकथित सेक्यूलर ईसाईयों को अच्छा लगता है!सउदी अरब भी नैटो का मित्र है । और पाकिस्तान भी । सोनिया,औवैसी,तबलीगी,आदि तो कठपुतलियाँ हैं । वे नहीं मिलें तो नयी कठपुतलियाँ ढूँढ ली जायेंगी ।

क्योंकि पोप ने वाजपेयी−राज में दिल्ली आकर घोषणा की थी कि चर्च का लक्ष्य भारत को ईसाई बनाना है जो पहले से ही चर्च का अघोषित लक्ष्य था । तो भारतीय मुसलमानों को गुमराह करके उनके साथ हिन्दुविरोधी मोर्चा बनाने को चर्च की रणनीति में सम्मिलित करना ही था ।

कोरोना फैलने के बाद दिल्ली की जामा मस्जिद के भीतर का फोटो संलग्न है । किसी सरकार की हिम्मत नहीं है कि इनलोगों पर कार्यवाई करे,दंगा भड़क जायगा । मोदी सरकार को बहुत फूँक−फूँककर कदम उठाने पड़ते हैं जो बहुत से फेसबुकिए पहलवान नहीं समझते ।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक स्वयंसेवक ने कम्पैशन इण्टरनेशनल से पूछा कि आप केवल चर्च के माध्यम से बच्चों की सहायता करने की बजाय सभी सम्प्रदायों की संस्थाओं के स्कूलों के माध्यम से बच्चों की सहायता क्यों नहीं करते । कम्पैशन इण्टरनेशनल ने मना कर दिया और बाद में मीडिया में झूठा प्रचार किया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ईच्छा है कि उसके स्कूलों को विदेशी फण्ड मिले!यद्यपि “सभी सम्प्रदायों की संस्थाओं” में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्कूल नहीं आते क्योंकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ साम्प्रदायिक या धार्मिक संस्था के रूप में रजिस्टर्ड नहीं है,और न ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने ऐसा कोई प्रस्ताव भेजा था । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्कूलों में हिन्दू धर्म की धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाती,केवल राष्ट्रवाद और भारतीय संस्कार सिखाये जाते हैं । फिर भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से इतनी घृणा!

घृणा का कारण यह है कि मोदी सरकार द्वारा मिशनरियों की विदेशी फण्डिंग पर रोक अत्यन्त साहसिक कदम है । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की यह पुरानी माँग थी,किन्तु मोदी से पहले बहुमत नहीं था ।

तबलीगी जमात द्वारा भारत में कोरोना फैलाने के अनगिनत सबूत हैं किन्तु इंग्लैण्ड−अमरीका के ईसाई पत्तलकारों को नहीं दिखते क्योंकि हिन्दुओं का नाश उनका पहला लक्ष्य है,मुसलमानों से तो अकेले इजरायल भी जब चाहे नैटो की सहायता से निबट सकता है । किन्तु हिन्दुओं पर सीधा आक्रमण सम्भव नहीं रहा,वाजपेयी जी ने हाइड्रोजन बम जो फोड़ दिया!मुट्ठी भर के उत्तर कोरिया को तो सुपरपॉवर केवल दूर से गरियाने के सिवा कुछ नहीं कर सकता है,भारत का क्या बिगाड़ लेगा?हिन्दू हाथी सहस्र वर्षों की निद्रा से जागने लगा है — धीरे धीरे ।

– विनय झा

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