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श्रधेय अटल बिहारी जी को शत शत नमन

टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी |
अन्तर की चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी ||
हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा,
काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूं
गीत नया गाता हूं -अटल बिहारी बाजपेयी

 

 

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राष्ट्र को जुड़ना ही होगा, राष्ट्र को उठना ही होगा। उतिष्ठ भारत।

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