FEATURED

गोगा नवमी: भारत की अस्मिता के रक्षक गोगावीर

मोहम्मद गजनी जब सोमनाथ मन्दिर को लूटने के इरादे से आया था तब ददरेवा राजपूताने के शासक गोगा राणा ने उस आतातायी लुटेरे को सोमनाथ जाने से अपने राज्य की सीमाओं पर ही रोक लिया था।

दस दिन तक विशाल सेना से युद्ध कर आगे बढ़ने से रोके रखा।अन्तत: उस विशाल सेना के सामने गोगा की छोटी सी सेना गोगा सहित वीरगति को प्राप्त हुयी। रनवास की रानियों ने सभी दासियों सहित अग्नि स्नान किया।

इस प्रकार गोगा राणा ने अपना सर्वस्व भगवान सोमनाथ मन्दिर की रक्षार्थ स्वाहा कर दिया।

इतिहासकारों ने इनके पराक्रम और गजनी से युद्ध के बारे में विस्तृत रूप से लिखा है। विदेशी इतिहासकारों में प्रसिद्ध कर्नल टाड ने हिस्ट्री आफ राजस्थान में लिखा है कि गोगा के बासठ पुत्रऔर सैंतालीस पौत्रों ने बलिदान दिया था।दूसरे इतिहासकार कनिंघम ने भी इसी बात को दोहराते हुये लिखा है कि हिमालय के निचले तराई के हिस्से में वीर पूजा प्रचलित है।

पर कई वीर भारत के सुदूर तक पूजे जाते है उनमें से गोगा वीर प्रमुख है। कनहैयालाल मानिक लाल मुंशी ने अपने विख्यात ग्रन्थ ‘जय सोमनाथ’ में इस युद्ध का विस्तृत वर्णन करते हुये ग्रन्थ की भूमिका में लिखा है कि गोगा के पराक्रम काल्पनिक नहीं हैं।

गोगा के एक पुत्र सज्जन सिंह अपने पुत्र सामन्त सिंह के साथ उस समय सोमनाथ दर्शन की यात्रा पर गये हुये थे। उनको सोमनाथ में ही गजनी के आने का समाचार मिल गया था।

पिता -पुत्र दोनो ने अविलम्ब उस दुष्ट को रोकने के लिये वहाँ से अलग अलग मार्ग से प्रस्थान किया। जिस मार्ग से सज्जन गया उस मार्ग में उसका गजनी से सामना हो गया। उसके सैनिकों ने सज्जन को बन्दी बना कर गजनी के सामने पेश किया। गजनी ने पूछा कहाँ से आ रहें हो, कहां जा रहे हो ,सज्जन को तब तक पता हो गया कि हमारा राज्य तहस नहस हो गया है। अत: उसने गजनी से बदला लेने की ठान कर बताया कि मैं सोमनाथ से दर्शन करके आ रहा हूं।

गजनी ने कहा हमें मार्ग बताओ तो तुम्हे छोड़ देंगे। चौहान सज्जन सिंह ने कहा पहले मेरी ऊँटनी जो आपके सैनिकों ने ले ली है वह मुझे लौटाएँ। ऐसा ही हुआ, गोगा पुत्र ने उसकी सेना को मार्ग बताने के बहाने घोर मरुस्थल में भटका दिया जहाँ धूलभरी तप्त बालू रेत में गजनी के दस हजार सैनिक ऊंटों सहित मरुस्थल में समा गये। सज्जन स्वयं भी वहीं बलिदान हुये।

इस प्रकार गोगा के पुत्र दुश्मनों से बदला लेकर इतिहास में अमर हो गये।

दूसरी ओर सज्जन के पुत्र सामन्त को भी हकीकत का पता चल गया कि अपना राज्य समाप्त हो गया है। उसका क़द काठी और शक्ल गोगा जैसी ही थी। उसने गाँव गाँव घूमकर लोगों को सचेत करते हुये गाँवों को ख़ाली करने के हेतु गजनी की विशाल सेना के बारे मे सबको बताया कि तीस हजार ऊँटों पर पानी की बखाल लिये एक लाख लुटेरों को साथ लिये आ रहा है।

गाँव ख़ाली हो गये, कुओं को पाट दिया गया, चारे को जला दिया गया। नतीजा यह हुआ कि जब गजनी की सेना आई तो उसको राशन पानी व पशुओं को चारा नहीं मिलने से भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।

गजनी के सैनिकों न उसे बताया कि गोगा के भूत ने गाँव के गाँव ख़ाली करवा दिये। तब गजनी ने कहा ये गोगा “जाहिर पीर है” जहाँ देखो वहीं मौजूद दिखता है। उत्तर प्रदेश में गोगा को आज भी इसी नाम से जानते व पूजते हैं।

सामन्त ने एक काम और किया कि उस मार्ग के राजाओं को एकत्रित कर उनकी सेनाओं के साथ सोमनाथ में मोर्चा लगाया और डटकर सामना किया। गजनी अपनी जान बचाकर सभी सैनिकों को युद्ध में मरवाकर स्वयं कच्छ के रास्ते से वापस भाग गया।

कम्म्युनिस्टों ने ग़लत इतिहास लिखकर ये बताया कि सोमनाथ की रक्षा के लिये कोई भी भारतीय नहीं लड़ा। के एम मुंशी ने ‘जय सोमनाथ’ ग्रन्थ में विस्तृत वर्णन कियाहै कि भारत के वीरों ने कैसे मुक़ाबला कर दुश्मन को भगाया था।

आज एक हजार वर्ष से भी अधिक समय से भारत माँ के उस वीर सुपुत्र को भारत की जनता इतना सम्मान देती है कि उनको लोक देवता के रूप में पूजती है, गोगा मेडी नाम के स्थान पर इनकी समाधि पर मेला लगता है जो उत्तर भारत का कुम्भ माना जाता है।

दिल्ली से गोगा मेडी रेलवे स्टेशन तक भारत सरकार तीन स्पेशल ट्रेनें चलाती है। भादों मास की बदी व सूदी नवमी को ददरेवा जन्म स्थान व गोगा मेडी जहाँ गोगा जी वीर गति को प्राप्त हुये, जंगी मेले लगते है। एक अनुमान के अनुसार १५ से २० लाख यात्री मेले मे पहुँच कर श्रद्धापूर्वक पूजा व मनोकामना माँगते हैं।

यूपी बिहार के यात्री पीले वस्त्र पहन कर आते हैं जो केसरिया बाना पहन कर धर्म युद्ध करने की परम्परा की याद ताज़ा करवाता है। इस दिन राजस्थान सरकार की ओर से सरकारी छुट्टी रहती है।

राजस्थान में आज के दिन घर घर में खीर चूरमा बनता है। पूर्णिमा को बाँधी राखी आज खोली जाती है जिसे गोगा की प्रतिमा पर चढ़ाया जाता है। मिट्टी से बनी घोड़े पर सवार गोगा की प्रतिमा की घर घर पूजा होती है।

इसके सम्बन्ध में एक दोहा भी विख्यात है:

पाबू हरबू रामदे, मांगलिया मेहा।

पांचू वीर पधारज्यो, गोगाजी जेहा ।।

– लेखक अज्ञात

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

राष्ट्र को जुड़ना ही होगा, राष्ट्र को उठना ही होगा। उतिष्ठ भारत।

Copyright © Rashtradhara.in

To Top